Vishal Bagh Shayari Collection

दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी shayari collection series पसंद आ रही होगी। आज हम जिस शायर का कलाम पेश कर रहे हैं वो हैं विशाल बाग़। शायरी तो बहुत से लोग कर रहे हैं लेकिन उनकी ही शायरी दिलों में घर कर पाती है जो इंसानी जज़्बात को ख़ूबसूरती और सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाएँ और विशाल बाग़ ये काम बा-ख़ूबी कर रहे हैं। Vishal Bagh Shayari Collection में हमने उनकी कुछ ऐसी ही सरल भाषा में कही गईं ग़ज़लें और अश'आर पेश किए हैं जो आपके दिल में घर कर जाए। उम्मीद करता हूँ कि विशाल साहब का हर एक शे'र आप के दिल तक पहुँच सके।

विशाल बाग़ की ग़ज़लें

1
अपनी मर्ज़ी से कुछ चुनूँगा मैं
हर अदा पर नहीं मरूँगा मैं

वो अगर ऐसे देख ले मुझको उसको अच्छा नहीं लगूँगा मैं बाग़ में दिल नहीं लगा अब के अगले मौसम नहीं खिलूँगा मैं उससे आगे नहीं निकलना पर उसके पीछे नहीं चलूँगा मैं कह गए थे वो याद रक्खेंगे
याद ही तो नहीं रहूँगा मैं
- विशाल बाग़
2
सुनने में आया है मेरा चर्चा नइँ था
मुझको जितना लगता था मैं उतना नइँ था

उसको अच्छे लगते थे सब छैल छबीले हम जैसों को उससे कोई ख़तरा नइँ था सादा दिल थे सो हम अपने ही दुश्मन थे वो भी अच्छा लगता था जो अच्छा नइँ था शर्मीले साजन की सब बेशर्मी देखी सब कुछ सोचा करता था वो कहता नइँ था अच्छी सूरत कितनी अच्छी हो सकती थी
लेकिन तब तक मैंने उसको देखा नइँ था 
- विशाल बाग़ 
3
वो जो लिखा है सब किताबों में
वो ही शामिल नहीं निसाबों में

उसकी तासीर ऐसे काटी है हमने घोला उसे शराबों में ये मेरी हिचकियाँ बताती हैं मैं बक़ाया हूँ कुछ हिसाबों में तो कोई तजरुबा ही कर लें क्या कुछ नहीं मिल रहा किताबों में हम उसे यूं ही मिल गए होते उसने ढूंढा नहीं ख़राबों में आओ और आ के फिर बिछड़ जाओ
कुछ इज़ाफ़ा करो अज़ाबों में
- विशाल बाग़
4
शाम ढले मैं घर रौशन भी करता था
कितना कुछ तो मैं बेमन भी करता था

दुनिया मुझसे सिर्फ़ मोहब्बत करती है वो दीवाना पागलपन भी करता था तुम जो कहते थे ना इक दिन छू लोगे छू लेते ना मेरा मन भी करता था मेरे सिरहाने वो घुँघरू गुमसुम है उसके पैरों में छनछन भी करता था उसके हाथों में बस हम ही जँचते थे
दावा सोने का कंगन भी करता था
- विशाल बाग़

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5
जी हमी हैं मुहब्बत के मारे हुए
दिल के टूटे हुए जां से हारे हुए

जिन से बरसों की पहचान थी छुट गई अजनबी आज से हम तुम्हारे हुए इस ज़मीं को भी हम रास आए नही हम वही हैं फ़लक़ से उतारे हुए एक दिन आई दुनिया लिए अपने ग़म हम भी बैठे थे दामन पसारे हुए दिल जो टूटे नहीं ख़ाक में मिल गए दिल जो टूटे फ़लक़ के सितारे हुए दोष सारा हमारे जुनूँ को न दो उनकी जानिब से भी कुछ इशारे हुए इक नज़र के तक़ाज़े पे सब ने कहा
हम तुम्हारे हुए हम तुम्हारे हुए
- विशाल बाग़
6
ख़बर सुनकर वो ये इतरा रहा है
मुझे उसका बिछोड़ा खा रहा है

मेरे सय्याद को कोई बुला दो मेरे पिंजरे को तोड़ा जा रहा है निकलना है हमें कब से सफ़र पर मगर ये जिस्म आड़े आ रहा है मैं उसको याद भी करना न चाहूँ वो आकर ख़्वाब में उकसा रहा है चलो उसको अज़ीयत से निकालें
सुना है अब भी वो पछता रहा है
- विशाल बाग़
7
साफ़ दिखता है तेरे चेहरे पे
इश्क़ डाले है डेरे चेहरे पे

इतनी शिद्दत से देखिए मुझको नील पड़ जाएं मेरे चेहरे पे इतनी आंखें नहीं है दुनिया में जितने चेहरे हैं तेरे चेहरे पे सोलहवां साल लग गया जैसे उसने जब हाथ फेरे चेहरे पे हम तुझे देख ही नहीं पाए
इतनी नज़रें थी तेरे चेहरे पे
- विशाल बाग़
8
जब वो बोले कि कोई प्यारा था
उनका मेरी तरफ़ इशारा था

हम निकल आए जिस्म से बाहर उसने कुछ इस तरह पुकारा था फेर देता था वो नज़र अपनी हर नज़र का यही उतारा था डूब जाना ही ठीक था मेरा मेरे दोनों तरफ़ किनारा था आख़िरश बोझ हो गया देखो
मुझको जो जिस्म जां से प्यारा था
- विशाल बाग़
ये तो थीं विशाल बाग़ की कुछ ग़ज़लें लेकिन अभी Vishal Bagh Shayari Collection अधूरा है। तो चलिए, अब हम उनके कुछ तन्हा अश'आर भी पढ़ते हैं।

विशाल बाग़ के अश'आर

तुम जो कहते थे ना इक दिन छू लोगे
छू लेते ना मेरा मन भी करता था
- विशाल बाग़
मुझको उसकी नज़रें अपने चेहरे पर महसूस हुई
इसका मतलब उसने मेरी तस्वीरों को देखा हैं
- विशाल बाग़
तुमने जब से अपनी पलकों पर रक्खा
कालिख़ को सब काजल काजल कहते हैं
- विशाल बाग़
जब तलक अनजान थे मेहफ़ूज़ थे
जान लेना जानलेवा हो गया
- विशाल बाग़
तुम कली पर निखार आने दो
देखना डाल खुद झटक देगी
- विशाल बाग़
दुआए माँगते हैं इसीलिए अपने उजड़ने की
हमें तो यार तेरे हाथ से तामीर होना हैं
- विशाल बाग़
उसने महफ़िल से उठाया हमको
जिसको पलकों पे बिठाया हमने
- विशाल बाग़
उसके हाथों में बस हम ही जँचते थे
दावा सोने का कंगन भी करता था
- विशाल बाग़
दानिशमंदों रस्ता बतला सकते हो
दीवाना हूँ वीराने तक जाना है
- विशाल बाग़
तुमने जब से अपनी पलकों पर रक्खा
कालिख़ को सब काजल काजल कहते हैं
- विशाल बाग़
दोस्तो, आशा करता हूँ कि आपको Vishal Bagh Shayari Collection पसंद आई होगी। आप इस ब्लॉग पर अन्य शायरों की शायरी कलेक्शन भी पढ़ सकते हैं। अगर आप चाहें तो मेरी भी ग़ज़लें इसी ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।