दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी shayari collection series पसंद आ रही होगी। आज हम जिस शायर का कलाम पेश कर रहे हैं वो हैं विशाल बाग़। शायरी तो बहुत से लोग कर रहे हैं लेकिन उनकी ही शायरी दिलों में घर कर पाती है जो इंसानी जज़्बात को ख़ूबसूरती और सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाएँ और विशाल बाग़ ये काम बा-ख़ूबी कर रहे हैं। Vishal Bagh Shayari Collection में हमने उनकी कुछ ऐसी ही सरल भाषा में कही गईं ग़ज़लें और अश'आर पेश किए हैं जो आपके दिल में घर कर जाए। उम्मीद करता हूँ कि विशाल साहब का हर एक शे'र आप के दिल तक पहुँच सके।
विशाल बाग़ की ग़ज़लें
1
अपनी मर्ज़ी से कुछ चुनूँगा मैं
हर अदा पर नहीं मरूँगा मैं
याद ही तो नहीं रहूँगा मैं
- विशाल बाग़
2
सुनने में आया है मेरा चर्चा नइँ था
मुझको जितना लगता था मैं उतना नइँ था
लेकिन तब तक मैंने उसको देखा नइँ था
- विशाल बाग़
3
वो जो लिखा है सब किताबों में
वो ही शामिल नहीं निसाबों में
कुछ इज़ाफ़ा करो अज़ाबों में
- विशाल बाग़
4
शाम ढले मैं घर रौशन भी करता था
कितना कुछ तो मैं बेमन भी करता था
दावा सोने का कंगन भी करता था
- विशाल बाग़
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5
जी हमी हैं मुहब्बत के मारे हुए
दिल के टूटे हुए जां से हारे हुए
हम तुम्हारे हुए हम तुम्हारे हुए
- विशाल बाग़
6
ख़बर सुनकर वो ये इतरा रहा है
मुझे उसका बिछोड़ा खा रहा है
सुना है अब भी वो पछता रहा है
- विशाल बाग़
7
साफ़ दिखता है तेरे चेहरे पे
इश्क़ डाले है डेरे चेहरे पे
इतनी नज़रें थी तेरे चेहरे पे
- विशाल बाग़
8
जब वो बोले कि कोई प्यारा था
उनका मेरी तरफ़ इशारा था
मुझको जो जिस्म जां से प्यारा था
- विशाल बाग़
ये तो थीं विशाल बाग़ की कुछ ग़ज़लें लेकिन अभी Vishal Bagh Shayari Collection अधूरा है। तो चलिए, अब हम उनके कुछ तन्हा अश'आर भी पढ़ते हैं।
विशाल बाग़ के अश'आर
तुम जो कहते थे ना इक दिन छू लोगे
छू लेते ना मेरा मन भी करता था
- विशाल बाग़
मुझको उसकी नज़रें अपने चेहरे पर महसूस हुई
इसका मतलब उसने मेरी तस्वीरों को देखा हैं
- विशाल बाग़
तुमने जब से अपनी पलकों पर रक्खा
कालिख़ को सब काजल काजल कहते हैं
- विशाल बाग़
जब तलक अनजान थे मेहफ़ूज़ थे
जान लेना जानलेवा हो गया
- विशाल बाग़
तुम कली पर निखार आने दो
देखना डाल खुद झटक देगी
- विशाल बाग़
दुआए माँगते हैं इसीलिए अपने उजड़ने की
हमें तो यार तेरे हाथ से तामीर होना हैं
- विशाल बाग़
उसने महफ़िल से उठाया हमको
जिसको पलकों पे बिठाया हमने
- विशाल बाग़
उसके हाथों में बस हम ही जँचते थे
दावा सोने का कंगन भी करता था
- विशाल बाग़
दानिशमंदों रस्ता बतला सकते हो
दीवाना हूँ वीराने तक जाना है
- विशाल बाग़
तुमने जब से अपनी पलकों पर रक्खा
कालिख़ को सब काजल काजल कहते हैं
- विशाल बाग़
दोस्तो, आशा करता हूँ कि आपको Vishal Bagh Shayari Collection पसंद आई होगी। आप इस ब्लॉग पर अन्य शायरों की शायरी कलेक्शन भी पढ़ सकते हैं। अगर आप चाहें तो मेरी भी ग़ज़लें इसी ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
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