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Achyutam Yadav 'Abtar' Sher Collection

Achyutam Yadav 'Abtar' Sher Collection


दोस्तो, इस ब्लॉग पर मैं ज़ियादा तर ग़ज़लें सी साझा करता हूँ और आगे भी करता रहूँगा लेकिन आज मैं, अच्युतम यादव, इस ब्लॉग पोस्ट के ज़रिए आप सभी से अपने कुछ चुनिंदा अश'आर (शे'र का बहुवचन) साझा करने जा रहा हूँ। जैसा कि हम जानते हैं कि एक शे'र यानी दो मिसरों में अपने एक तख़य्युल को पूरी तरह से ज़ाहिर करना धीरे-धीरे मश्क़ करने से ही आता है। मैं भी इसी सफ़र में हूँ और बेहतर से बेहतर शे'र कहने के प्रयास में हूँ।  

चलिए अब मैं आपसे अपने कुछ अश'आर साझा करता हूँ।

Achyutam Yadav 'Abtar' Sher Collection


ज़िंदगी का हर इक वरक़ पढ़िए बा-शौक़
एक दिन ये किताब लौटानी भी है
- Achyutam Yadav 'Abtar'


हैरान था मैं उसकी ऐसी साहिरी तरकीब से
नफ़रत भी उसने मुझसे की तो की बड़ी तहज़ीब से
- Achyutam Yadav 'Abtar'


कह रहा था मैं नहीं है दुख किसी भी बात का
और छलक के गिर गया इक आँसू पिछली रात का
- Achyutam Yadav 'Abtar'


सिर्फ़ इसलिए ही लिखता हूँ उसे मैं रोज़ ख़त
ताकि उसमें बे-झिझक "तुम्हारा अपना" लिख सकूँ
- Achyutam Yadav 'Abtar'


भर दो मेरे मक़बरे को और फूलों से ज़रा
है ख़फ़ा मुझ से फ़ना उसको मनाना भी तो है
- Achyutam Yadav 'Abtar'


मुस्कुराने से ग़म हुए थे अयाँ
ऐसे रोना है अब कि शाद लगूँ
- Achyutam Yadav 'Abtar'


मज़हबी धनुष ने ही लाईं दूरियाँ 'अबतर'
वरना इक ही तरकश में थे रखे हुए हम सब
- Achyutam Yadav 'Abtar'


वो जाने वाला तो मेरी दुनिया ही जैसे ले गया
और लोग कहते हैं कि ख़ाली हाथ जाते हैं सभी
- Achyutam Yadav 'Abtar'


मौत ऐसी मंज़िल है 'अबतर' जिसका तर्ज़-ए-सफ़र है नायाब
इंसाँ थक के बैठे तब भी बढ़ता रहता है आगे ही
- Achyutam Yadav 'Abtar'


शायरी के भी सितम होते हैं दोस्त
अपने हर दुख लय में लाने पड़ते हैं
- Achyutam Yadav 'Abtar'


नहीं थी शोहरत की भूक इतनी
निगल रहा है मलाल जितना
- Achyutam Yadav 'Abtar'


तल्ख़ लहजा लबों से अपने उतारा आख़िर
ज़ोम उसका मेरे एहसानों से हारा आख़िर
- Achyutam Yadav 'Abtar'


मैं तो डूब गया तेरे दिल के दरिया में
रो भी ले कि निकल आए अब लाश भी मेरी
- Achyutam Yadav 'Abtar'


इतनी सख़्त-दिली से छोड़ा है उसने 'अबतर'
कि डर रहा हूँ अपनाने से अब तन्हाई भी
- Achyutam Yadav 'Abtar'


बारहा ग़लतियों का यही था सबब
मुझको इक ग़लती की भी रिआयत न थी
- Achyutam Yadav 'Abtar'


किसी का चेहरा पढ़ भी लूँ अगर तो फ़ायदा नहीं
कि भूल जाता हूँ पढ़ा हुआ मैं शब का सुब्ह तक
- Achyutam Yadav 'Abtar'


ख़ुद से बचके निकला के मंज़िल मिल गई
अपने रस्ते का आख़िरी पत्थर था मैं
- Achyutam Yadav 'Abtar'


उम्मीद तो थी कि दिन बदलेंगे अपने कभी
दिन ऐसे बदले कि अब उम्मीद तक भी नहीं
- Achyutam Yadav 'Abtar'


आख़िर कौन आएगा सुनने हक़ीक़त मेरी
इक इल्ज़ाम ने ही तय कर दी क़ीमत मेरी
- Achyutam Yadav 'Abtar'


ग़ुस्से में भी फ़िक्र करे वो ये है यकता
वैसे भी धूप में बारिश कम ही होती है 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


ताकि मिरी इक ख़्वाहिश तो पूरी हो जाए
इसकी ख़ातिर इक तारे ने ख़ुद-कुशी कर ली 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


उदासी भी तो एक व्रत है वो भी ऐसा व्रत
कि हँस भी ले कोई तो भी ये नहीं टूटता 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


ख़ुशियाँ तो कश्मकश में हैं पीछे बहुत अभी
अब्र-ए-मुहाल है ग़मों का पस्त होना याँ 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


उसका मेरा साथ होना चाँद-तारों जैसा ही है
दूरियाँ हैं तो बहुत पर लगता है इक साथ ही हैं 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


उससे कहने में जब शरम आई
तब मिरे हाथों में क़लम आई

ज़िन्दगी मेरे हिस्से में तू भी
आई लेकिन बहुत ही कम आई
- Achyutam Yadav 'Abtar'


वो जिसका हमने रोज़-ओ-शब सज्दा किया
उस शख़्स ने ही तो हमें तन्हा किया 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


आँसू चाहते हैं दिल हल्का करना पर
यादें पलकों पर पत्थर रख देती हैं 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


क्यों बुलाया तुमने ऐसी बज़्म में यारों मुझे
सबको घुलता देख मैं और भी अकेला हो गया 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


अमीरी नख़रों से सिर पर उठा लेती है अपना घर
ग़रीबी में तो पलकें भी घरों से भारी होती हैं 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


ये हवाओं की संगत का फल था कि अब
आइने में नहीं दिखता मेरा बदन 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


ये ज़िन्दगी की दौड़ दौड़कर मिला ही क्या हमें
न जीता शख़्स घर जा पाता है न हारा शख़्स ही 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


शाम हो या सुब्ह माँ को तारा बतलाते हैं सब
दौड़ निकला घर से इक दिन गिरता तारा देखकर 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


जब तलक रही तू ऐ ज़िन्दगी रही ज़्यादा
क्या मलाल मुझ को अब कल यहाँ न होने का 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


मैं न तो कसूरवार था ना बे-गुनाह ही
हाँ मैं भी तमाशबीन भीड़ का ही हिस्सा था 
- Achyutam Yadav 'Abtar'


और थोड़ा जान लीजे हिज्र के बारे में मुझसे
मैं तो कर लूँगा ये दरिया पार बस डर आपका है
- Achyutam Yadav 'Abtar'



तो ये थे मेरे कुछ चुनिंदा अश'आर। उम्मीद करता हूँ कि आप को पसंद आए होंगे। यहाँ तक आके पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया। आप चाहें तो कॉमेंट बॉक्स के ज़रिए मुझे अपना पसंदीदा शे'र बता सकते हैं। दोस्तो, जैसे जैसे मैं और शे'र कहता रहूँगा इस ब्लॉग पोस्ट में जोड़ता रहूँगा। यदि मेरा लेखन आपको पसंद आया हो तो दोबारा कभी इस ब्लॉग पोस्ट पर ज़रूर आइएगा।  

धन्यवाद।  


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