दोस्तो, जैसा कि आप जानते ही हैं कि शायरी बे-बह्र नहीं हो सकती। ग़ज़ल कहने के लिए बह्र में लिखना अनिवार्य है। बिना बह्र में लिखा हुआ सिर्फ़ एक रचना कहलाएगी, ग़ज़ल नहीं। इसलिए हमें बह्र (meter) में लिखना सीखना ही पड़ता है और आज की पोस्ट में हम वही सीखेंगे। बह्र में लिखने के लिए मात्रा गणना के नियम पता होना ज़रूरी हैं तभी आप लय को समझ पाएँगे। ये बहुत ही अहम पोस्ट होने वाली है तो इसे ध्यान से पढ़ें। मेरी कोशिश रहेगी कि आपको आसान से आसान भाषा में मात्रा गणना के नियम समझा सकूँ। तो चलिए अब नियम की तरफ़ बढ़ते हैं।
मात्रा गणना के नियम
1. सबसे पहले ये जान लें कि मात्रा गणना में एक मात्रिक और दो मात्रिक लफ़्ज़ होते हैं। एक मात्रिक का वज़्न 1 होता है और दो मात्रिक का वज़्न 2 होता है।
2. सभी व्यंजन स्वतंत्र रूप से (बिना किसी स्वर योग से) एक मात्रिक होते हैं। जैसे - क, ख, ग, घ, च, छ, आदि।
3. अ, इ, उ स्वर व अनुस्वार (चंद्रबिंदी) तथा इनके साथ प्रयुक्त व्यंजन एक मात्रिक होते हैं। जैसे - कि, पु , सि आदि।
4. आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं स्वर तथा इनके साथ प्रयुक्त व्यंजन दो मात्रिक होते हैं। जैसे - सो, पा, जी, तो, आदि।
5. अर्ध अक्षर जिसके साथ भी जुड़ता है वो व्यंजन अगर 1 मात्रिक है तो वह 2 मात्रिक हो जाता है। अगर व्यंजन पहले से ही 2 मात्रिक है तो अर्ध अक्षर जुड़ने पर भी वो 2 मात्रिक ही रहता है। उदाहरण - हिम्मत --> हिम् 2 मत 2
6. अगर किसी शब्द में दो 'एक मात्रिक' व्यंजन हैं तो उच्चारण अनुसार दोनों जुड़ कर शाश्वत दीर्घ बन जाते हैं। जैसे - ग़म (ग़ 1 + म 1) - 2। यहाँ ध्यान रखें कि शाश्वत दीर्घ का वज़्न हमेशा 2 ही होगा 11 नहीं।
7. अगर अर्ध 'स' के दोनों तरफ़ पहले से ही दीर्घ मात्रिक अक्षर हों तो अर्ध 'स' को स्वतंत्र 1 मात्रिक माना जाता है। उदाहरण - दोस्ती --> दो 2 स 1 ती 2 ; रास्ता --> रा 2 स 1 ता 2।
इन सातों नियमों को याद रखें क्योंकि इन्हीं से हम किसी लफ़्ज़ का वज़्न पता करते हैं। वज़्न पता करने के लिए आपको एक और बात का ख़याल रखना पड़ता है जो कि बेहद अहम है - Pronounciation। शब्दों के pronounciation के साथ-साथ ही ऊपर के पाँचों नियम लागू होते हैं। अब मैं आपको कुछ उदाहरण दे कर समझाता हूँ:
1. सफ़र - इसको स / फ़र पढ़ते हैं यानी स 1 / फ़र 2 (शाश्वत दीर्घ)
2. आदत - इसको आ / दत पढ़ते हैं यानी आ 2 / दत 2
3. आज - इसको आ / ज पढ़ते हैं यानी आ 2 / ज 1
4. हौसला - इसको हौ / स / ला पढ़ते हैं यानी हौ 2 / स 1 /ला 2
5. हिम्मत - इसको हिम् / मत पढ़ते हैं यानी हिम् 2 / मत 2
6 दुनिया - इसको दुन / या पढ़ते हैं यानी दुन 2 / या 2 (लिखते हैं भले ही 'दुनिया' लेकिन उर्दू काव्य शास्त्र के मुताबिक़ 'दुनया' पढ़ते हैं।)
7. आज-कल - इसको आ / ज / कल पढ़ते हैं यानी आ 2 / ज 1 / कल 2
इसी तरह नाराज़ - 221, पत्थर - 22, सरफिरा - 212, बदल - 12, काग़ज़ - 22, आफ़त - 22, क़ब्ज़ा - 22, शहर - 21, काटना - 212, बोलना - 212 . इसी तरह आप कोई भी शब्द सोचें और उसका वज़्न निकालें।
उच्चारण के आधार पर छूट
जैसा कि आपने ऊपर देखा कि शायरी में किसी लफ़्ज़ का वज़्न तय करने के लिए उस लफ़्ज़ का उच्चारण बहुत अहम किरदार अदा करता है। इसी की वजह से कुछ शब्दों में हमें छूट भी मिलती है क्योंकि उनका उच्चारण एक से ज़ियादा तरीक़े से मान्य है। कुछ शब्द देखें :
1. मेरा - इसका मूल वज़्न 22 है लेकिन इसे 12 (मिरा) भी ले सकते हैं।
2. तेरा - इसका मूल वज़्न 22 है लेकिन इसे 12 (तिरा) भी ले सकते हैं।
3. ख़ामोशी - इसका मूल वज़्न 222 है लेकिन इसे 122 (ख़मोशी) या 212 (ख़ामुशी) भी ले सकते हैं।
4. आईना - इसका मूल वज़्न 222 है लेकिन इसे 212 (आइना) भी ले सकते हैं।
तो दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि अब आपको मात्रा गणना के नियम समझ में आ गए होंगे। मैंने पूरी कोशिश की है कि इस विषय को आसानी से आप तक पहुँचा सकूँ। आशा करता हूँ कि आपको मेरी कोशिश पसंद आई होगी। मैं अपने इस ब्लॉग पर शायरी से जुड़ी बारीकियाँ आप सभी से साझा करता रहता हूँ। आप Blog सेक्शन पर जाते मेरी अन्य पोस्ट्स भी पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
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