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सबसे आसान बह्र और उस पर ग़ज़ल

सबसे आसान बह्र और उस पर ग़ज़ल


शायरी में कई सौ बहरें हैं लेकिन उनमें भी 32 बहरें हैं जो प्रचलित हैं। अब ज़ाहिर सी बात है ऐसे में कुछ आसान बहरें होंगीं तो कुछ मुश्किल। एक बह्र कितनी आसान है या मुश्किल है इस बात पर बहुत ज़ियादा निर्भर करता है कि ख़याल कितनी आसानी या मुश्किलात से बह्र पर सेट हो रहा है। तो चलिए बात करते हैं सबसे आसान बह्र की।  

सबसे आसान बह्र

जैसा कि हमने पहले भी बात की कि शायरी में कई सौ बहरें हैं लेकिन प्रचलित सिर्फ़ 32 ही हैं। तो सबसे आसान बह्र प्रचलित 32 बहरें में है या इससे बाहर है। जवाब है कि इन्हीं 32 बहरों में ही है।  

यूँ तो ये सवाल कुछ लोगों को subjective लगता है मगर फिर भी शे'र कहते हुए जो परेशानियाँ होती हैं वो किस बह्र में कम होती हैं इससे हम मालूम कर सकते हैं कि हमने बह्र आसान ली है या मुश्किल। 

तो शायरी की सबसे आसान बह्र है "रमल मुसम्मन मेहज़ूफ़ मक़्तूअ रूप -2" यानी 2122 1212 22. आप किसी भी शायर से पूछें वो इस बह्र को आसान तो कहेगा ही अगर सबसे आसान न भी कहे तो। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बह्र न तो ज़ियादा लंबी है और न ही बहुत छोटी जिन पर ख़याल बुनना मुश्किल होता है।  

साथ ही साथ इस बह्र के आख़िरी रुक्न यानी 22 (फेलुन) को हम 112 भी मान सकते हैं किसी भी मिसरे में। 

अगर आप ध्यान से देखें तो इस बह्र में लघु (1) लगातार नहीं आ रहे हैं। यानी 11 सिर्फ़ एक बार ही आएगा वो भी तब जब आप छूट लेंगे। जिन बहरों के हर रुक्न या ज़ियातर अर्कान में लघु आए, उसे थोड़ा मुश्किल माना जाता है। 

अगर आप अभी अभी शायरी करना शुरू किए हैं तो मेरी राय में आप पहले उन बहरों को लीजिए जिनका पहला रुक्न 2122 है जैसा कि इस बह्र में है। 122 या 1222 भी ले सकते हैं लेकिन 2122 लेंगे तो 1 पर ज़रुरत पड़ने पर मात्रा गिरा भी सकते हैं वहीं 1222 पर आपको शुरू ही 1 से करना है तो ऐसे लफ़्ज़ थोड़ा मुश्किलात पैदा करते हैं। आइए अब इस बह्र पर मैं अपनी एक ग़ज़ल उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करता हूँ।

सबसे आसान बह्र पर एक ग़ज़ल

जंग में बच न पाया सर मेरा
ख़ुल्द में बन गया है घर मेरा

क्या नफ़ा और क्या ज़रर मेरा
है न जब कोई हम-सफ़र मेरा

ख़ौफ़ में भी जमाल है मेरे
हौसला हो तो परखो डर मेरा

उसने आँखें टिका के क्या देखीं
हो गया दिल इधर-उधर मेरा

उसको मेरी ग़ज़ल पसंद आई
और लहजा तो ख़ास कर मेरा

आज तक मिल सके न ये दोनों
बाप का कंधा और सर मेरा

मेरे यारो मुझे इजाज़त दो
इतना ही था यहाँ सफ़र मेरा

- अच्युतम यादव 'अबतर'

दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि ये ब्लॉग पोस्ट आपके काम आया होगा।  मैंने थोड़ा विस्तार से समझाने की कोशिश की है कि सबसे आसान बह्र कौन सी है और उदाहरण के रूप में अपनी एक ग़ज़ल भी साझा की है। अब मैं चाहूँगा कि आप भी 2122 1212 22 बह्र पर एक ग़ज़ल लिखें और कॉमेंट बॉक्स में पोस्ट कर दें। मैं ज़रूर पढ़ूँगा आपकी ग़ज़ल।  

धन्यवाद। 

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