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शायरी की 32 प्रचलित बहरें

शायरी की 32 प्रचलित बहरें



दोस्तो आज हम बात करेंगे उर्दू शायरी की 32 प्रचलित बहरों के बारे में। यूँ तो शायरी में कई सौ बहरें हैं लेकिन उनमें से सिर्फ़ कुछ बहरें ही प्रचलित हैं। अगर आप एक ऐसी पोस्ट पड़ना चाहते हैं जहाँ आप उन सभी प्रचलित बहरों को जान सकें तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।  

हम सिर्फ़ 32 प्रचलित बहरें ही नहीं बल्कि बह्र से जुड़ी और भी अहम जानकारी आप से साझा करेंगे। आइए सबसे पहले हम उन 32 प्रचलित बहरों को गहराई से देखेंगे और फिर कुछ बेहद अहम सवालों के जवाब भी देंगे जिसे लेकर बहुत से नए और उभरते हुए शायर परेशान रहते हैं।

शायरी की 32 प्रचलित बहरें



1. बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन

1222 1222 1222 1222
मेरी सीरत भी तो मेरी अबस सूरत से मिलती है
मियाँ बद-क़िस्मती इतनी बड़ी क़िस्मत से मिलती है


2. बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून

फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122 1212 22

उनकी क़िस्मत सँवारता हूँ मैं 
एक दो लोगों का ख़ुदा हूँ मैं


3. बहरे कामिल मुसम्मन सालिम

मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन

11212 11212 11212 11212

कभी मैं चलूँ कभी तू चले कभी बे-मज़ा ये सफ़र न हो
किसे मंज़िलों की तलाश है हमें चलते रहने का डर न हो


4. बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ

मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212 1122 1212 22

कभी भी कोई भी ज़ुल्मी मुझे बशर न लगे
और इस नज़रिये को मेरे कभी नज़र न लगे


5. 
 बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूर

मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन

221 2122 221 2122

ज़ख़्मी है दिल तुम्हारा और अश्क इसकी हाजत
दरमाँ है इसका क़तरा गर रो सको तो रो लो

6. 
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन

221 2121 1221 212

इक अर्सा बीता पर तू हमारा नहीं हुआ
भाए जो आँखों को वो नज़ारा नहीं हुआ


7. 
बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122

मिरी नज़रें तुझपे ही होंगी
कहीं तू न नज़रें चुरा ले 


8. 
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122

जो मिलती नहीं है वही माँगते हैं
मुसलसल तवज्जोह सभी माँगते हैं


9. 
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12

हमारा तो बचपन गया ही नहीं
हमारे खिलौने बड़े हो गए


10. 
बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन, फ़ाइलुन, फ़ाइलुन
212 212 212

रूबरू होना उस ख़त से तुम
लौट के आना जन्नत से तुम


11. 
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2

याद आख़िर मेरी आई तुमको
रास आई न तन्हाई तुमको


12. 
 बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212

ज़िन्दगी ने मेरे साथ क्या क्या किया
खोल दीं मेरी आँखें ये अच्छा किया


13. 
 बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला

मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
12122 12122 12122 12122

न जाने कितने सवाब होते न जाने कितने ज़लाल होते 
अगर मैं सोहबत में तेरी आता तो मुझसे लाखों सवाल होते


14. 
बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212

रस्ते ही दुश्मन थे मेरे
पत्थर मेरा जब यार था 


15. 
बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून

मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
2212 1212

लौ जिस्म में मचलती है
दिल का दिया बुझाने दो


16. 
बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212

अब क्योंकि तू मुझसे जुदा होता नहीं
दिल में ग़मों का दाख़िला होता नहीं


17. 
बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212

आईना हैं ग़ज़लें मेरी उसके सँवरने के लिए
मेरा हर इक इक शेर मानो उसका चेहरा हो गया


18. 
बहरे रमल मुरब्बा सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122

मन वहाँ भी लग न पाया
क़ब्र में भी देखा रहकर 


19. 
बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन

फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22

माँ ने रोटी को दिया है तरजीह
पूछो मत हाथों में पायल क्यों है


20. 
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212

तुमने ख़ुद को मेरा हमदम कर दिया
मैंने भी ग़म करना अब कम कर दिया


21. 
बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122

इस उदासी को रुलाना चाहता हूँ
मैं मसर्रत को चुराना चाहता हूँ


22. 
बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 2122 212

गर यही होगा रवैया तो गए तुम काम से
तुमको तो मेहनत भी करनी है वो भी आराम से



23. 
 बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़

फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22

वो भी राज़ी न था अंजाम पे आने के लिए
मैंने भी टोका ही था बात बढ़ाने के लिए


24. 
बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]

फ़यलात फ़ाइलातुन फ़यलात फ़ाइलातुन
1121 2122 1121 2122

कभी भी किसी भी उलझन में सिमट गए तो हँसना
इसी से तुम्हारे दिन एक दो कट गए तो हँसना


25. 
बहरे रमल मुसम्मन सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122 2122

जिस्म पर हर ज़ख़्म का रुतबा तो मरहम तय करेगा
कितना हँसना है हमें ये बात भी ग़म तय करेगा


26. 
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन 
1222 1222 122

हुआ हर एक से झगड़ा हमारा
फ़क़त तुमसे ही है रिश्ता हमारा


27. 
 बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222

हर इक ठोकर का, हर इक मोड़ का है इल्म
मुझे ख़ुद रास्ता रहबर बनाता है 


28. 
हज़ज मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़

मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन

221 1221 1221 122

एहसान का ही क़र्ज़ अदा कर रहा हूँ मैं
ये फ़र्ज़ है मेरा कोई एहसान नहीं है


29. 
बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम

मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222 

झगड़े भी हुए अक्सर जब हमने मोहब्बत की
पर फूल भी थे लब पर जब हमने मोहब्बत की


30. 
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम

फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222

बात बन न पाएगी चंद ईंटें ढहने से
है अज़ीम महल-ए-ग़म मेरे दिल के रक़्बे से


31. 
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़

फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
212 1212 1212 1212

मिट गई ख़लिश न जाने कब मुझे नहीं पता
काँटों की लगी है क्यों तलब मुझे नहीं पता


32. 
बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़

मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212

चढ़ी है जब से मेरे माथे पर वो क़र्ज़ की ख़िज़ाँ
यूँ लगता है कि कोई पत्ता होठों से उतर गया



हमने शायरी की सभी 32 प्रचलित बहरों को देख लिया। पर अक्सर एक नए शायर के मन में कुछ सवाल होते हैं। आइए अब हम बहरों से जुड़े उन्हीं कुछ सवालों के जवाब देखते हैं।

1. बह्र क्या होती है ?

उत्तर - बह्र और कुछ नहीं शब्दों का एक लयबद्ध बहाव है जो हमारी शायरी को लय में लाने का काम करती है।

2. क्या शायरी का बह्र में होना ज़रूरी है ?

उत्तर - जी हाँ, शायरी का बह्र में होना अनिवार्य है। बिना बह्र के कोई भी शे'र मान्य नहीं होगा।

3. सबसे ज़ियादा कौन सी बह्र इस्तेमाल होती है ?

उत्तर - यूँ तो शायरी की 32 प्रचलित बहरों में से कई बह्र बहुत इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन मेरी जानकारी के तहत 2122 1212 22 और 1222 1222 1222 1222 बहरें अधिक देखने को मिलती हैं।

4. सबसे आसान बह्र कौन सी है ?

उत्तर - वैसे तो सभी के लिए यही बह्र हो ये ज़रूरी तो नहीं पर 2122 1212 22 बह्र सबसे आसान बह्र मानी जाती है। इस पर अपने ख़याल ढालना थोड़ा आसान होता है।   


उम्मीद करता हूँ बहरों से जुड़े कई सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे और जो 32 बहरें ऊपर दी हुई हैं आप उन्हें भी पढ़ चुके होंगे। अब आपको जो बह्र आसान लगे आप उसपे अपने ख़याल ढाल कर अपना कोई शे'र या ग़ज़ल मुकम्मल करें।  

धन्यवाद।

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