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Emotional Ghazal in Hindi

Emotional Ghazal in Hindi

कुछ ग़ज़लें दिल से नहीं, दर्द से निकलती है। यही वजह है कि ग़ज़लें सिर्फ़ पढ़ी नहीं जातीं—महसूस की जाती हैं। हर एक एक शे'र एक मिसाल है अलग अलग मौज़ू' (विषय) का। इस पोस्ट में मैंने अपनी जिस भी emotional Ghazal को शामिल किया है वो जज़्बात की गहराई में उतरती हैं—इश्क़, तन्हाई, जुदाई और उम्मीद के रंग समेटे हुए। हर एक ग़ज़ल न सिर्फ़ दिल को छूती हैं, बल्कि कभी पुरानी यादें ताज़ा कर देती हैं, तो कभी बेवजह आँखें नम कर जाती हैं। अगर आप भी उन अलफ़ाज़ की तलाश में हैं जो आपके अनकहे जज़्बात बयाँ करें, तो यहाँ पर दी हुई हर एक emotional Ghazal ज़रूर आपके दिल तक पहुँचेंगी।

Emotional Ghazals in Hindi 


ग़ज़ल 1

हर इक दिन दी सदा पर तुम न आए न की कोई ख़ता पर तुम न आए तुम्हारी यादों को रक्खा सजा के किया सब हक़ अदा पर तुम न आए कभी तो देखने आते मुझे तुम मैं रोता ही रहा पर तुम न आए ख़बर पहुँची तो होगी इसकी तुम तक किया कितना गिला पर तुम न आए तुम्हारे नाम के ही आबले हैं हुई कितनी जफ़ा पर तुम न आए तुम्हीं तो इश्क़ के दरिया में लाए तुम्हीं थे आसरा पर तुम न आए ख़फ़ा तुमसे तो हो सकता नहीं मैं हुआ ख़ुद से ख़फ़ा पर तुम न आए

– अच्युतम यादव 'अबतर'

ग़ज़ल 2 

क्यों लबों पे तिरी नहीं नहीं है तुझको क्या मुझपे भी यक़ीं नहीं है मेरी तक़दीर हम-नशीं नहीं है दूसरा चारा भी कहीं नहीं है देखते हो हज़ार बार उसे और कहते हो वो हसीं नहीं है कर न पातीं वसूली यादें तेरी वो तो दिल का कोई मकीं नहीं है मेरे इन रत्ब होंठों के नीचे क्यों तिरी ख़ुश्क सी जबीं नहीं है दिल है इक ऐसा आसमाँ 'अबतर' जिसके नीचे कोई ज़मीं नहीं है

– अच्युतम यादव 'अबतर'

ग़ज़ल 3

सामने उनके सर झुकाएँ हम वो हैं तूफ़ान और हवाएँ हम तन्हा रातों में अश्क बहते रहे तुमको देते रहे सदाएँ हम दे दिया आपको क़फ़स बना के अब परिंदा कहाँ से लाएँ हम इक शिगूफ़ा दिखा था रास्ते में क्यों हवा को ये सब बताएँ हम ख़्वाब में आए थे मेरे माँ-बाप पूछे दुख तेरे लेके जाएँ हम ?
– अच्युतम यादव 'अबतर'

ग़ज़ल 4

अब क्यूँकि तू मुझसे जुदा होता नहीं दिल में ग़मों का दाख़िला होता नहीं दिल को तसल्ली कैसे दें तू ही बता अब ज़र्द पत्ता तो हरा होता नहीं गर ज़ब्त हों आँसू तो दिल बह जाएगा रो लेने से ये हादसा होता नहीं इक और नज़रिया तो मिला रिश्ते का आज सो हिज्र इतना भी बुरा होता नहीं मेरा नहीं होता है जो है आपका जो मेरा है वो आपका होता नहीं ऐसा भी कोई फ़लसफ़ा हो सकता है जो जानना हो मानना होता नहीं 'अबतर' मैं डरता ही रहा इक उम्र तक और डरने का अब हौसला होता नहीं

– अच्युतम यादव 'अबतर'

ग़ज़ल 5

जंग में बच न पाया सर मेरा ख़ुल्द में बन गया है घर मेरा क्या नफ़ा और क्या ज़रर मेरा है न जब कोई हम-सफ़र मेरा ख़ौफ़ में भी जमाल है मेरे हौसला हो तो परखो डर मेरा उसने आँखें टिका के क्या देखीं हो गया दिल इधर-उधर मेरा उसको मेरी ग़ज़ल पसंद आई और लहजा तो ख़ास कर मेरा आज तक मिल सके न ये दोनों बाप का कंधा और सर मेरा मेरे यारो मुझे इजाज़त दो इतना ही था यहाँ सफ़र मेरा

– अच्युतम यादव 'अबतर'

ग़ज़ल 6

तेरी अँधेरी शब का सहारा न बन सका मैं भी वो जुगनू था जो सितारा न बन सका देखी गयी न मुझ से किसी राही की तलब सागर तो बन गया मैं हाँ खारा न बन सका करनी थी मुझको ख़ुश्क ज़मीनों की देख रेख इस वज्ह से नदी का किनारा न बन सका झुक जाए माँ की शर्म से गर्दन जो लोगों में लहजा कभी भी ऐसा हमारा न बन सका नाक़िस असासा था मैं मेरा रेज़ा-रेज़ा लग़्व मिस्मार जब हुआ तो दुबारा न बन सका 'अबतर' न घूमी तेरी तरफ़ एक आँख भी तू डूबते हुए भी नज़ारा न बन सका

– अच्युतम यादव 'अबतर'

ग़ज़ल 7

बीती यादों के शिकंजे में समाँ गर आपका है काटिए ये जाल और सारा समुन्दर आपका है आपको क्या लगता है दिल में मेरे है कोई क़स्बा मेरे दिल में इक ही घर है और वो घर आपका है और थोड़ा जान लीजे हिज्र के बारे में मुझसे मैं तो कर लूँगा ये दरिया पार बस डर आपका है मैं अगर एहसाँ चुका दूँ तो मेरा एहसान होगा इक अजब सा ऐसा एहसाँ मेरे सर पर आपका है रोल नंबर दे रही थी ज़िंदगी जब मौत का कल पास आके मुझसे बोली पहला नंबर आपका है और कोई कितनी भी कर ले अयादत मेरी लेकिन जब तलक चलती रहेंगी साँसें 'अबतर' आपका है

– अच्युतम यादव 'अबतर'


तो दोस्तों, मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मेरी ये हर Emotional Ghazal in Hindi पसंद आई होंगी। मुझे ग़ज़लों से बहुत ही कम उम्र में मोहब्बत हो गई थी इसलिए मेरे पास आप सभी से साझा करने के लिए बहुत सी ग़ज़लें हैं जो मैं आहिस्ता-आहिस्ता अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ और नई ग़ज़लें भी कह रहा हूँ। आप उन ग़ज़लों को भी ज़रूर पढ़ें और कॉमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दें। 

धन्यवाद। 

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