दोस्तो, क्या आप जानते हैं कि मतला क्या होता है ? मक़्ता क्या होता है ? ये दोनों ही लफ़्ज़ ग़ज़ल में इस्तेमाल किए जाते हैं। अगर आप इनका अर्थ नहीं जानते हैं तो ये ब्लॉग पोस्ट आप के लिए ही है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम ग़ज़ल जुड़े तमाम लफ़्ज़ों के अर्थ पढ़ेंगे। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि उन लफ़्ज़ों को आसानी से समझा सकूँ। तो आइए, सबसे पहले हम ऊपर पूछे गए सवाल के अर्थ से शुरुआत करते हैं।
ग़ज़ल से जुड़े शब्दों के अर्थ
1. मतला : ग़ज़ल का पहला शे'र जिसके दोनों मिसरों में क़ाफ़िया और रदीफ़ होता है, उसे मतला कहते हैं।
(नोट : मतला बग़ैर रदीफ़ के भी हो सकता है)
2. मक़्ता : ग़ज़ल का आख़िरी शे'र जिस में शायर का तख़ल्लुस होता है, उसे मक़्ता कहते हैं।
3. शायरी : उर्दू काव्य लेखन
4. ग़ज़लगोई : ग़ज़ल लिखने की प्रक्रिया
5. शे'र : एक निश्चित धुन या बह्र पर दो पंक्तियाँ जो एक विषय पर विचार, चिंतन अथवा भावना को प्रकट करती हैं, उन्हें शे'र कहते हैं।
6. अश'आर : शे'र का बहुवचन
7. फ़र्द : एक शे'र
8. मिसरा : ग़ज़ल या किसी शे'र की प्रत्येक पंक्ति को मिसरा कहते हैं।
9. मिसरा-ए-उला : शे'र की पहली पंक्ति को मिसरा-ए-उला कहते हैं।
10. मिसरा-ए-सानी : शे'र की दूसरी पंक्ति को मिसरा-ए-सानी कहते हैं।
11. क़ाफ़िया : वह शब्द जो रदीफ़ से पहले आता है और हर शे'र में सम तुकांतता के साथ बदलता रहता है।
12. रदीफ़ : वो शब्द या शब्दों का समूह जो क़ाफ़िए के ठीक बाद आए और हर शे'र में एक समान रहे, रदीफ़ कहलाते हैं।
13. हुस्न-ए-मतला : जब ग़ज़ल में एक मतले के बाद एक मतला और आए तो उसे हुस्न-ए-मतला कहते हैं।
14. तख़ल्लुस : ग़ज़ल के आख़िरी शे'र में शायर अपना नाम अथवा उपनाम लिखते हैं, जिसे तख़ल्लुस कहते हैं। हालाँकि ये अनिवार्य नहीं है।
15. मुरद्दफ़ ग़ज़ल : वो ग़ज़लें जिनमें रदीफ़ होती हैं उन्हें मुरद्दफ़ ग़ज़लें कहते हैं।
16. ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़ल : जिन ग़ज़लों में रदीफ़ नहीं होती हैं उन्हें ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़लें कहते हैं।
17. मुसलसल ग़ज़ल : जिस ग़ज़ल के सभी अश'आर एक ही भाव पर केंद्रित होते हैं, उसे मुसलसल ग़ज़ल कहते हैं।
18. रुक्न : उर्दू छंद शास्त्र 'अरूज़' के मुताबिक़ कुछ निश्चित मात्राओं के पुंज को रुक्न कहते हैं।
19. अर्कान : रुक्न का बहुवचन
20. इज़ाफ़त : इज़ाफ़त के ज़रिए दो शब्दों को अंतर सम्बंधित किया जाता है। उदाहरण - नादान दिल को दिल-ए-नादाँ भी कह सकते हैं।
21. वाव-अत्फ़ : उर्दू भाषा में जब दो शब्दों के बीच 'व', 'तथा', या 'और' शब्द का प्रयोग किया जाता है वहाँ वाव-ए-अत्फ़ का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर दिल और दिमाग़ को दिल-ओ-दिमाग़ भी कह सकते हैं।
22. अलिफ़-वस्ल : अगर किसी शब्द के अंत में कोई बिना मात्रा वाला व्यंजन हो और उस शब्द के ठीक बाद एक ऐसा शब्द हो जो किसी स्वर से शुरू हो रहा हो तो ऐसे में उस व्यंजन और स्वर का योग किया जा सकता है। उदाहरण : कब + आओगे = कबाओगे
23. तक़्तीअ : मात्रा गणना या वो तरीक़ा जिसके द्वारा यह परखा जाता है कि शे'र निश्चित बह्र में है या नहीं।
24 रवायती ग़ज़ल : अगर ग़ज़ल के शब्द और विषय क्लासिक ग़ज़लों की तरह हों तो उसे रवायती ग़ज़ल कहते हैं।
25. जदीद ग़ज़ल : जब हम ग़ज़ल की बंदिशों को तोड़कर नए-नए विषयों पर नए-नए ज़ाविए से शे'र कहके ग़ज़ल बुनते हैं तो उस ग़ज़ल को जदीद ग़ज़ल कहते हैं।
दोस्तो, आशा करता हूँ कि ग़ज़ल से जुड़े कई शब्दों के अर्थ आपने पढ़ लिए होंगे और अब आपको उनके बारे में इल्म हो गया होगा। मैं इसी तरह शायरी से जुड़ी बारीकियाँ अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशित करता रहता हूँ। आप Blog सेक्शन में जाके और पोस्ट्स पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
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