दोस्तो थोड़ा बहुत शायरी में शौक़ कहीं न कहीं सभी को होता ही है। ख़ैर, अगर आप इस पोस्ट पर आए हैं तो आपको तो शायरी का शौक़ होगा ही क्योंकि आप शायरी को लेकर उत्सुक हैं क्योंकि आपके मन में कुछ शायरी से जुड़े सवाल हैं जिनके आप आसान जवाब ढूँढ़ रहे हैं।
आज-कल इंटरनेट और सोशल मीडिया पर बहुत से शायरी से जुड़े कॉन्टेंट वाइरल होते रहते हैं। बहुत से मुशायरे भी आयोजित होते रहते हैं जो कि हमारे कवियों और शायरों के लिए एक अच्छा मंच देते हैं जहाँ वो अपनी शायरी का हुनर पेश करते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर और इंटरनेट पर भी बहुत से लोग शायरी से जुड़े ज़ियादा तर लफ़्ज़ों को लेकर असमंजस (confuse) रहते हैं और यदि जानकारी न हो तो कई बार शायर ने क्या कहा ये समझ ही नहीं पाते।
चलिए आज मैं शायरी से जुड़े 10 सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल और उनके आसान जवाब लाया हूँ। मैं कोशिश करूँगा कि सिर्फ़ वो सवाल ही लूँ जो शायरी की शुरुआत करने वाले नए शायर आसानी से समझ जाएँ। बाक़ी शायरी भी एक हुनर है और हुनर मश्क़ (practice) से ही आता है।
शायरी से जुड़े 10 रोचक सवाल और उनके जवाब
1. शायरी और ग़ज़ल में क्या अंतर है ?
2. ग़ज़ल और नज़्म में क्या अंतर है ?
पहले ग़ज़ल को समझते हैं -
मिसरा 1 : 1222 1222 1222 12222
मिसरा 2 : 1222 1222 1222 12222
मिसरा 1 : 1222 1222 1222 12222
मिसरा 2 : 1222 1222 1222 12222
अब नज़्म को समझते हैं -
3. मतला और मक़्ता क्या होते हैं ?
उत्तर - ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहते हैं। मतले में पहले दोनों मिसरों में क़ाफ़िया का होना अनिवार्य है। हालाँकि रदीफ़ का होना अनिवार्य नहीं होता।
ग़ज़ल के आख़िरी शे'र को अमूमन मक़्ता कहते हैं। ध्यान रखें कि जब आख़िरी शे'र में शायर का तख़ल्लुस (Pen Name) हो तभी वो मक़्ता कहलाएगा वरना नहीं।
यह मेरी ही ग़ज़ल है और देखिए मेरे तख़ल्लुस ('अबतर') के होने से अब ये आख़िरी शे'र मक़्ता कहलाएगा। अगर तख़ल्लुस न होता तो इसे मक़्ता न कहते।
4. शायरी में बह्र क्या होती है ?
उत्तर - बह्र का बिलकुल सामान्य अर्थ है लय। लघु और दीर्घ मात्राओं का ऐसा रख-रखाव कि हर मिसरा एक ही ले में आ जाए।
5. क्या ग़ज़ल का बह्र में होना अनिवार्य है ?
उत्तर - हाँ, ग़ज़ल का बह्र में होना अनिवार्य है। अगर कोई रचना जो ग़ज़ल के structure पे लिखी हो वो बह्र में नहीं है तो फिर उसे ग़ज़ल नहीं कहेंगे।
6. शायरी में क़ाफ़िया और रदीफ़ क्या होते हैं ?
उत्तर - क़ाफ़िया बोलते हैं उन शब्दों को जो समतुकांत होते हैं और ग़ज़ल के structure में रदीफ़ के ठीक पहले आते हैं। ये हर शेर में बदलते रहते हैं। वहीं रदीफ़ वो शब्द या शब्दों के समूह होते हैं जो क़ाफ़िए के ठीक बाद आते हैं और ये पूरी ग़ज़ल में बदलते नहीं हैं।
7. सबसे आसान बह्र कौन सी है ?
उत्तर - वैसे तो यह एक subjective सवाल है लेकिन 2122 1212 22 बह्र सबसे आसान बह्र मानी जाती है। इस बह्र पर ख़याल बुनना ज़रा आसान है तो नए शायरों को कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
8. सबसे मुश्किल बह्र कौन सी है ?
उत्तर - वो बहरें जो या तो बहुत छोटी हैं या बहुत लम्बी हैं मुश्किल बहरें होती हैं। लेकिन शायरी की सबसे मुश्किल बह्र है 11212 11212 11212 11212. जैसा कि आप देख सकते हैं कि यह बह्र लम्बी तो है ही लेकिन साथ ही साथ बेहद complex भी है।
9. एक अच्छा शायर कैसे बनें ?
उत्तर - एक अच्छा शायर बनने के लिए एक अच्छा पाठक (reader) और श्रोता (लिस्टनेर) बनिए। अच्छे-अच्छे शायरों को ख़ूब पढ़िए, ख़ुद से analysis कीजिए किसी भी शे'र का या पूरी ग़ज़ल का। अगर हो सके तो मुशायरों में शायरों को सुनने के लिए भी जाइए। आहिस्ता-आहिस्ता आपके ख़याल बेहतर होंगे और आपकी शायरी में निखार आएगा।
10. नए शायरों के लिए 5 बेस्ट शायरी बुक्स ?
उत्तर - मेरे हिसाब से आसान भाषा में नए शायरों के लिए 5 बेस्ट शायरी बुक्स हैं :
1. दो क़दम और सही (राहत इंदौरी)
2. घर अकेला हो गया (मुनव्वर राना)
3. पैरों को खोल (शकील आज़मी)
4. आसमाँ फ़ुर्सत में है (मदन मोहन दानिश)
5. चराग़ (वसीम बरेलवी)
उम्मीद करता हूँ कि आपको आज शायरी से जुड़े 10 रोचक सवाल और उनके जवाब मिल गए होंगे। मैंने कोशिश की है कि हर बात को आसानी से आप तक पहुँचाई जाए। फिर भी अगर कोई सवाल हो तो आप कॉमेंट बॉक्स के ज़रिए पूछ सकते हैं मैं पूरी कोशिश करूँगा जल्द से जल्द जवाब देने की।
धन्यवाद।
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