1. पहली और सबसे ज़रूरी बात यह है कि शायरी अपने आप में कोई काव्य की विधा नहीं है बल्कि जो कुछ भी उर्दू काव्य शास्त्र के तहत लिखा जाता है वो शायरी होता है। उदाहरण के तौर पर ग़ज़ल, नज़्म, क़ता, आदि शायरी का हिस्सा हैं। इस फ़ोटो को देखें :
2. आप ऐसे समझ सकते हैं कि सभी ग़ज़लें, नज़्में शायरी हैं लेकिन हर शायरी ग़ज़ल या नज़्म नहीं होती है।
3. अक्सर लोगों को लगता है कि जब एक मतला और एक शे'र साथ में पढ़े जाते हैं तो उसे ही शायरी कहते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
4. इन सभी के साथ-साथ इस बात का भी ख़याल रखें कि शायरी बह्र में होती है। अगर बह्र में नहीं है तो उसे शायरी में कोई दर्जा नहीं मिलेगा। उसे आप सिर्फ़ एक रचना ही बोलेंगे।
दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि अब आप को शायरी और ग़ज़ल में अंतर समझ में आ गया होगा। यह बहुत ज़ियादा पूछे जाने वाले सवालों में से एक सवाल है इसलिए मैंने ये पोस्ट लिखी। इसी तरह मैं शायरी से जुड़ी बातें साझा करता रहता हूँ जिन्हें आप इस वेबसाइट के Blog सेक्शन में जा कर पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
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