शायरी और ग़ज़ल में अंतर

दोस्तो, अगर आप सोशल मिडिया का इस्तेमाल करते हैं तो आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि मैंने एक शायरी लिखी है। अब ऐसे में आपके मन में अगर ये सवाल आता है कि ये शायरी है तो फिर ग़ज़ल क्या है या फिर शायरी और ग़ज़ल में क्या अंतर है तो ये सवाल बिल्कुल वाजिब हैं। मेरा यह ब्लॉग शायरी का ब्लॉग ही है और मैं अपनी और अन्य शायरों की तरह-तरह की शायरी यहाँ प्रकाशित करता रहता हूँ। यह सवाल बहुत से लोगों के मन में होता है इसलिए मैंने ये ब्लॉग लिखने के बारे में सोचा। तो चलिए अब हम दोनों में फ़र्क़ समझते हैं।

1. पहली और सबसे ज़रूरी बात यह है कि शायरी अपने आप में कोई काव्य की विधा नहीं है बल्कि जो कुछ भी उर्दू काव्य शास्त्र के तहत लिखा जाता है वो शायरी होता है। उदाहरण के तौर पर ग़ज़ल, नज़्म, क़ता, आदि शायरी का हिस्सा हैं। इस फ़ोटो को देखें :

शायरी और ग़ज़ल में अंतर


2. आप ऐसे समझ सकते हैं कि सभी ग़ज़लें, नज़्में शायरी हैं लेकिन हर शायरी ग़ज़ल या नज़्म नहीं होती है।  

3. अक्सर लोगों को लगता है कि जब एक मतला और एक शे'र साथ में पढ़े जाते हैं तो उसे ही शायरी कहते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।  

4. इन सभी के साथ-साथ इस बात का भी ख़याल रखें कि शायरी बह्र में होती है। अगर बह्र में नहीं है तो उसे शायरी में कोई दर्जा नहीं मिलेगा। उसे आप सिर्फ़ एक रचना ही बोलेंगे।

दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि अब आप को शायरी और ग़ज़ल में अंतर समझ में आ गया होगा। यह बहुत ज़ियादा पूछे जाने वाले सवालों में से एक सवाल है इसलिए मैंने ये पोस्ट लिखी। इसी तरह मैं शायरी से जुड़ी बातें साझा करता रहता हूँ जिन्हें आप इस वेबसाइट के Blog सेक्शन में जा कर पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।