2122 2122 2122
इस उदासी को रुलाना चाहता हूँ
मैं मसर्रत को चुराना चाहता हूँ
कोई रंजिश हो या कोई हादसा हो
मैं तो केवल मुस्कुराना चाहता हूँ
क्यों नहीं कम होती मेरे घर में शक्कर
तुम से मिलने का बहाना चाहता हूँ
तेरा दिल दरिया है तो उसमें मैं अपनी
दिल की कश्ती को डुबाना चाहता हूँ
ज़िन्दगी के साथ कब तक बैठे रहते
अब यहाँ से उठ के जाना चाहता हूँ
अब कहाँ से लाएँ इतना सारा पानी
आग अश्कों से बुझाना चाहता हूँ
- Achyutam Yadav 'Abtar'
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