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221 2122 221 2122 बह्र पर ग़ज़ल और तक़्तीअ

221 2122 221 2122 बह्र पर ग़ज़ल

221 2122 221 2122 बह्र पर ग़ज़ल 


उसने बस इतना बोला गर रो सको तो रो लो
मुश्किल नहीं है रोना गर रो सको तो रो लो

मैं चाहता हूँ कोई आ के कहे कि मेरा
दिल आज भी है बच्चा गर रो सको तो लो रो

चुप चाप ग़म सहूँगा पर मेरे दोस्त तुमसे
मैं बस यही कहूँगा गर रो सको तो रो लो

ज़ख़्मी है दिल तुम्हारा और अश्क इसकी हाजत
दरमाँ है इसका क़तरा गर रो सको तो रो लो

गर रो सको तो रो लो, जब भी कभी हो हँसना
जब भी कभी हो हँसना, गर रो सको तो रो लो

फैलेगी रौशनी सी ये ना-तवानी ‘अबतर’
करके ज़रा अँधेरा गर रो सको तो रो लो

 - अच्युतम यादव 'अबतर'

हाजत : ज़रुरत 
दरमाँ : इलाज
ना-तवानी : कमज़ोरी


ग़ज़ल की तक़्तीअ 

नोट : जहाँ कहीं भी मात्रा गिराई गई है वहाँ underline करके दर्शाया गया है।


उसने ब / स इतना बोला / गर रो स / को तो रो लो
221 / 2122  / 221  / 2122
(अलिफ़ वस्ल --> बस + इतना = बसितना 121)

मुश्किल न / हीं  है  रोना / गर रो स / को तो रो लो
221 / 2122  / 221  / 2122



मैं चाह / ता  हूँ  कोई / आ के क / हे कि मेरा
221 / 2122  / 221  / 2122

दिल आज / भी  है  बच्चा / गर रो स / को तो लो रो
221 / 2122  / 221  / 2122



चुप चाप / ग़म सहूँगा / पर मेरे / दोस्त तुमसे
221 / 2122  / 221  / 2122

मैं बस य / ही कहूँगा / गर रो स / को तो रो लो
221 / 2122  / 221  / 2122



ज़ख़्मी  है / दिल तुम्हारा / और अश्क / इसकी हाजत
221 / 2122  / 221  / 2122
('और' को 2 भी ले सकते हैं।)

दरमाँ  है  / इसका क़तरा / गर रो स / को तो रो लो
221 / 2122  / 221  / 2122



गर रो स / को तो रो लो,/ जब भी क / भी हो हँसना
221 / 2122  / 221  / 2122

जब भी क / भी हो हँसना, / गर रो स / को तो रो लो
221 / 2122  / 221  / 2122



फैलेगी / रौशनी सी / ये ना-त / वानी ‘अबतर’
221 / 2122  / 221  / 2122

करके ज़ / रा अँधेरा / गर रो स / को तो रो लो
221 / 2122  / 221  / 2122


कुछ ज़रूरी बातें :

1. ध्यान रखें कि शिकस्ता बह्र 2 बराबर हिस्सों में टूटती है इसलिए एक हिस्से में कही गई बात के बाद एक pause आना चाहिए और फिर दूसरे हिस्से में बात आगे बढ़ानी है। पहले हिस्से का कोई लफ़्ज़ दूसरे हिस्से में नहीं जाना चाहिए। 

2. यह एक शिकस्ता बह्र है इसलिए इसमें वह स्थान जहाँ से बह्र दो बराबर हिस्सों में टूटती है वहाँ बाएँ हिस्से के अंत में +1 लेने की छूट होती है। जैसे  221 2122 +1 // 221 2122

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