दोस्ती — एक ऐसा रिश्ता जो ख़ून से नहीं, लेकिन दिल से जुड़ता है। यह वो अनकहा एहसास है जिसे शब्दों में बयाँ करना बहुत मुश्किल है। सच्ची दोस्ती वक़्त, हालात और दूरियों से परे होती है। ये पोस्ट "Ghazal on Friendship in Hindi" इसी गहरे और पवित्र रिश्ते को बयाँ करने की एक कोशिश है। इसमें दोस्ती के मीठे लम्हों से लेकर जुदाई के दर्द तक, वादों की ख़ुशबू से लेकर ख़ामोशी की तासीर तक — हर एहसास को शेरों में पिरोया गया है।
यह ग़ज़ल उन दोस्तों के नाम है जो ज़िंदगी के सफ़र में हमारे साथ छाँव बनकर चलते हैं, चाहे रास्ता धूप भरा हो या तन्हा। उम्मीद है कि यह ग़ज़ल आपको अपने किसी दोस्त की याद दिलाएगी, और दिल को छू जाएगी।
Ghazal on Friendship in Hindi
ज़िंदगी है ‘अता दोस्ती के लिए
हाथ अपने बढ़ा दोस्ती के लिए
भूला मैं हर ख़ता दोस्ती के लिए
इतना ही हो सका दोस्ती के लिए
इब्तिदा इसकी इंसान से होती है
याद मत कर ख़ुदा दोस्ती के लिए
तू ने वादा किया था कभी मुझसे एक
अपना वादा निभा दोस्ती के लिए
मुझको ही हो गई थी मोहब्बत मियाँ
वो तो तैयार था दोस्ती के लिए
मत हो शामिल अगर जंग लाज़िम न हो
ख़ूँ न अपना बहा दोस्ती के लिए
हो गए हैं मोहब्बत के बादल घने
ये समाँ है बला दोस्ती के लिए
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