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Ghazal on Eyes in Hindi

Ghazal on Eyes in Hindi


हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
शबनम कभी शो'ला कभी तूफ़ान हैं आँखें

                              - साहिर लुधियानवी 

कहते हैं आँखें वो आईना होती हैं जिसमें दिल की हर बात बिन कहे पढ़ी जा सकती है। किसी की ख़ामोशी, किसी की मोहब्बत, किसी की नफ़रत और किसी की तन्हाई — सब कुछ इन दो निगाहों में बसा होता है। यही वजह है कि उर्दू शायरी में "आँखें" हमेशा एक गहरे प्रतीक के रूप में सामने आई हैं। प्रस्तुत ग़ज़ल में भी आँखों को सिर्फ़ एक शारीरिक अंग नहीं, बल्कि जज़्बात की ज़ुबान के रूप में देखा गया है। हर शेर में आँखों के अलग-अलग रंग — इंतज़ार, मोहब्बत, धोखा, आरज़ू, और कभी-कभी बग़ावत — को शायरी के लफ़्ज़ों में पिरोया गया है। 

यह पोस्ट "Ghazal on Eyes in Hindi" नज़रों की ख़ामोशी में छुपे शोर को सुनने की एक कोशिश है। उम्मीद है कि यह आपको सोचने, महसूस करने और शायद किसी पुरानी नज़र को याद करने पर मजबूर कर देगी।

Ghazal on Eyes in Hindi

नटखटी चुलबुली सी तितलियाँ हैं वो आँखें
आशिक़ों के लिए तो चिट्ठियाँ हैं वो आँखें

पलकें तो पर्दा हैं, खुल जाए तो भी क्या देखें
अश्कों से भीगी हुई खिड़कियाँ हैं वो आँखें

थोड़ी सी धूप किराए पे सभी को देकर
कुहरे से लिपटी हुई सर्दियाँ हैं वो आँखें

शाख़ से टूट के गिर जाए बहारों में जो
ऐसा लगता है वही पत्तियाँ हैं वो आँखें

बातें मन भरने की हों, भूक की चिंता छोड़ो
इश्क़बाज़ों के लिए रोटियाँ हैं वो आँखें

ताज अपना जो हसीं मंज़रों को सौंप आए
ऐसी फ़ैयाज़ सी ही रानियाँ हैं वो आँखें
– अच्युतम यादव 'अबतर'

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दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी ये आखों पर ग़ज़ल पसंद आई होगी।  अगर ऐसा है तो आप इस ब्लॉग पर मेरी अन्य ग़ज़लें भी ज़रूर पढ़ें। यक़ीन मानिए वो आपको निराश नहीं करेंगी।  

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