हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
शबनम कभी शो'ला कभी तूफ़ान हैं आँखें
कहते हैं आँखें वो आईना होती हैं जिसमें दिल की हर बात बिन कहे पढ़ी जा सकती है। किसी की ख़ामोशी, किसी की मोहब्बत, किसी की नफ़रत और किसी की तन्हाई — सब कुछ इन दो निगाहों में बसा होता है। यही वजह है कि उर्दू शायरी में "आँखें" हमेशा एक गहरे प्रतीक के रूप में सामने आई हैं। प्रस्तुत ग़ज़ल में भी आँखों को सिर्फ़ एक शारीरिक अंग नहीं, बल्कि जज़्बात की ज़ुबान के रूप में देखा गया है। हर शेर में आँखों के अलग-अलग रंग — इंतज़ार, मोहब्बत, धोखा, आरज़ू, और कभी-कभी बग़ावत — को शायरी के लफ़्ज़ों में पिरोया गया है।
यह पोस्ट "Ghazal on Eyes in Hindi" नज़रों की ख़ामोशी में छुपे शोर को सुनने की एक कोशिश है। उम्मीद है कि यह आपको सोचने, महसूस करने और शायद किसी पुरानी नज़र को याद करने पर मजबूर कर देगी।
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