तनोज दाधीच की शायरी में नज़ाकत और समझदारी का ख़ूबसूरत संगम देखने को मिलता है। ये शायर अपने लफ़्ज़ों से न सिर्फ़ एहसास जगाते हैं, बल्कि उन्हें इस अंदाज़ में सजाते हैं कि हर एक शे'र दिल में उतर जाता है। शब्दों का रख-रखाव, बयान की तहज़ीब और ज़िंदगी के बारीक पहलुओं की गहरी समझ — यही सब मिलकर इन्हें एक ख़ास पहचान देते हैं। इनकी शायरी एक अनुभव है, जिसे पढ़ना नहीं, महसूस करना होता है। तो आइए, इस पोस्ट "Tanoj Dadhich Shayari Collection" में हम इनकी शायरी से रू-ब-रू होते हैं।
तनोज दाधीच की ग़ज़लें
1
कभी भी ज़िन्दगी में कुछ अगर करना
ग़रीबी से अमीरी तक सफ़र करना
यहाँ जो जाम रक्खा है उधर करना
वहाँ जो चाय रक्खी है इधर करना
बहन और भाई से लड़कर दिवाली पे
अभी तक याद है घर को कलर करना
किसी के शेर जब उसके न रह जाएँ
इसे कहते हैं शेरों को अमर करना
- तनोज दाधीच2
कोई गाली नहीं देता कोई ग़ुस्सा नहीं होता
तो मैं मशहूर तो होता मगर इतना नहीं होता
हम उसको घर नहीं कहते भले कितना बड़ा ही हो
जहाँ तुलसी नहीं होती जहाँ मटका नहीं होता
बुला लो सब बड़े शाइर मगर इक दो नए रखना
शगुन पूरा नहीं होता अगर सिक्का नहीं होता
ज़माना है नया अब वो मुहब्बत कर नहीं सकता
वो जिससे एक भी रुपया कभी ख़र्चा नहीं होता
तनोज इस बार तो लाओ नयापन शेर में अपने
कि बस इक नाम लिखने से कोई मक़्ता नहीं होता
- तनोज दाधीच 3
तुझको भी अपने घर जल्दी जाना है
मैं तो ये समझा था तू दीवाना है
आग लगानी होगी अब उनके घर में
देश के दुश्मन से जिनका याराना है
गेंद तुम्हारे पाले में है अब सोचो
गेंद उठानी है या फिर पछताना है
सोच रहा हूँ अंबानी से बात करूं
उसके गाँव में इंटरनेट लगाना है
हर लड़की को ये मालूम नहीं होता
कब ग़ुस्सा करना है कब शर्माना है
- तनोज दाधीच 4
बात ऐसी है नहीं वो बात ही करता नहीं
जब हमें होती ज़रूरत बस तभी करता नहीं
बाप बच्चों के लिए जादूगरी करता नहीं
बस मुसलसल काम करने में कमी करता नहीं
किस क़दर उसको सताया है ख़ुदा ने इश्क़ में
जो नहीं काफ़िर है फिर भी बंदगी करता नहीं
सोचता हूँ हिज्र कैसे काटता होगा 'तनोज'
शेर जो कहता नहीं और मैक़शी करता नहीं
- तनोज दाधीच 5
सभी कहते बहुत अच्छा अगर तुम शायरी करती
ज़माना क्या ख़ुदा सुनता अगर तुम शायरी करती
तुम्हारी बात करने की अदा ने ही किया पागल
न जाने हाल क्या होता अगर तुम शायरी करती
मुनव्वर और राहत फिर तुम्हें भी तो पसंद आते
सुनाती जौन का मतला अगर तुम शायरी करती
नियम कानून भी तुमको बहुत सी छूट देते फिर
नहीं लगता कोई नुक़्ता अगर तुम शायरी करती
- तनोज दाधीच 6
जब भी देखो वो नादानी करता है
सहरा में भी पानी पानी करता है
मुस्तक़बिल क्या ख़ाक सँवारेगा अपना
जो हरदम बस बात पुरानी करता है
कैसे समझाऊँ उसको वो गुज़र गईं
बच्चा हरदम दादी नानी करता है
बॅटिंग बॉलिंग फ़ील्डिंग नइ आती तो क्या
रहने दो अच्छी कप्तानी करता है
वोट तो जनता उसको ही देती है अब
जो नेता कम बेईमानी करता है
- तनोज दाधीच 7
डरता नहीं हूँ मैं किसी भी इम्तेहान से
दूँगा सभी जवाब मगर इत्मिनान से
लौट आती है सदा यूँ मेरे जिस्म से मेरी
जैसे कि लौट आई हो ख़ाली मकान से
उसने लिया गुलाब मगर कुछ नहीं कहा
निकला नहीं है तीर अभी भी कमान से
लंकेश को हराया था सीता बचाई थी
बनता था घर को लौटना पुष्पक विमान से
ख़ुद का ही आसमान है काफ़ी 'तनोज' को
जलता नहीं वो और किसी की उड़ान से
- तनोज दाधीच 8
जबसे उसने जंगल आना छोड़ दिया
हर पंछी ने आब-ओ-दाना छोड़ दिया
इक लड़के के अच्छे नम्बर की ख़ातिर
इक लड़की ने ख़ाना खाना छोड़ दिया
जबसे आप गए हो मेरे जीवन से
गाने सुनता हूँ पर, गाना छोड़ दिया
अब तो मेरे साथ चलो तुम शॉपिंग पर
अब तो पैसे कम करवाना छोड़ दिया
आज नहीं तो कल ग़लती को मानोगी
अफ़सर को चुनकर दीवाना छोड़ दिया
- तनोज दाधीच 9
इश्क़ में तेरे गँवा दी ये जवानी जान-ए-मन
हो गई दिलचस्प अपनी भी कहानी जान-ए-मन
प्यार दोनों से है मुझको फ़र्क़ इतना सा है बस
जान हैं ग़ज़लें नई तो हैं पुरानी जान-ए-मन
आज दरिया ने बताया राज़ गहरा ये हमें
आपसे ही उसने सीखी है रवानी जान-ए-मन
शे'र कहने का सलीक़ा देर से आया मगर
शे'र सुनना काम अपना खानदानी जान-ए-मन
मेरी दुनिया में मेरा दिल देश है जैसे मेरा
और तुम उस देश की हो राजधानी जान-ए-मन
- तनोज दाधीच 10
होना तो चाहिए उसे होती नहीं कभी
ये ज़िन्दगी तेरी हुई मेरी नहीं कभी
मुझको मेरे रक़ीब से कोई गिला नहीं
रानी समझता है तुम्हें बीवी नहीं कभी
अक्सर हमारा वक़्त बुरा आया है मगर
ओरों से माँग कर घड़ी पहनी नहीं कभी
अंदर हमारे आग है कुछ कर दिखाने की
सर्दी हमारे जैसो को लगती नहीं कभी
अच्छी नहीं है इश्क़ की ये नौकरी 'तनोज'
इसमें तबादला है तरक़्क़ी नहीं कभी
- तनोज दाधीच 11
ये रहमत हो जाए हमपर अगले साल
काश चले जाएँ अपने घर अगले साल
हाथ नजूमी ने देखा और ये बोला
आप सफल हो जाएँगे, पर अगले साल
बारह मास दिया है जितना दुख तुमने
उतनी ख़ुशियाँ बरसे तुमपर अगले साल
फ़ोन जनमदिन पर ही शायद वो कर दे
जल्दी आए यार सितम्बर अगले साल
हम जैसो का बचपन ये कहकर गुज़रा
ले आएँगे अच्छे नम्बर अगले साल
- तनोज दाधीच 12
कई लोगों से बेहतर हँस रहा है
अगर तू अपने ऊपर हँस रहा है
दशानन के अहम को तोड़कर के
बहुत छोटा सा बंदर हँस रहा है
मुझे कोई नहीं ख़त भेजता अब
मेरी छत का कबूतर हँस रहा है
मुक़द्दर पर ये मेहनत हँस रही है ?
या मेहनत पर मुक़द्दर हँस रहा है ?
हज़ारों ग़म हैं उसकी ज़िन्दगी में
मगर फिर भी सुख़न-वर हँस रहा है
कहा मैंने कि दुनिया जीतनी है
न जाने क्यों सिकन्दर हँस रहा है
- तनोज दाधीच 13
अब तजरबा भी कर लिया पढ़ ली किताब भी
सब कुछ समझ गया हूँ हक़ीक़त भी ख़्वाब भी
मैंने बना के सबसे रखी काम के हैं सब
मुझको चराग़ जानता है आफ़ताब भी
मैंने कहा था तुझसे ज़रा इन्तिज़ार कर
अब देख हो गया हूँ न मैं कामयाब भी
जब दूर तुम हुए तो क़लम को उठा लिया
वरना तो दोस्त लाए थे मेरे शराब भी
मैंने भी काफ़ी कुछ दिया है इस जहान को
जब फ़्री रहे ख़ुदा करे मेरा हिसाब भी
जो लोग मानते नहीं शाइर 'तनोज' को
अब इस ग़ज़ल से मिल गया उनको जवाब भी
- तनोज दाधीच 14
अपनी ग़लती ख़ुद ही आ के बताई है
मतलब सीने पर इक गोली खाई है
ख़र्चे दस तरबूज़ बराबर हैं अपने
और कमाई? तो केवल इक राई है
हम जैसे तो ख़ाक उठाते हैं सबकी
और कोई है जिसने ख़ाक उड़ाई है
हमने टूटे दिल से अच्छे शे'र कहे
या'नी मलबे से बिल्डिंग बनवाई है
जिसके नखरे झेल नहीं पाता कोई
सबके घर में ऐसा एक जमाई है
- तनोज दाधीच 15
दूर हो माँ बाप से तो ज़िन्दगी किस काम की
सुख नहीं परिवार का तो नौकरी किस काम की
देखना है आपको तो एकटक देखो हमें
आपकी नज़रें ये हमपर सरसरी किस काम की
जब कोई इसको समझता ही नहीं अब दोस्तो
इससे अच्छा बोल लेते ख़ामुशी किस काम की
सिर्फ़ उसकी ही रज़ा से लोग साँसें ले रहे
और फिर भी पूछते हैं बन्दगी किस काम की
वो नहीं तुमको मिले शोहरत नहीं तुमको मिली
फिर 'तनोज' ऐसी तुम्हारी शाइरी किस काम की
- तनोज दाधीच दोस्तो, जब बात Tanoj Dadhich Shayari Collection की हो और हम सिर्फ़ ग़ज़लों तक ही सीमित रहें तो ये मुनासिब नहीं। इसलिए आइए, अब हम उनके कुछ अश'आर भी पढ़ते हैं
तनोज दाधीच के चुनिंदा अश'आर
अगर तुम देर से सोते हो अफ़सर बन नहीं सकते
अगर तुम वक़्त पे सोते हो शायर बन नहीं सकते
- तनोज दाधीच
एक ग़ज़ल से जिसकी मूरत मैंने आज बनाई है
एक दफ़ा जो वो पढ़ ले तो प्राण प्रतिष्ठा हो जाए
- तनोज दाधीच
बहुत हैरान हैं हम भी तुम्हारे बिन बना दिया
किसी की मुस्कुराहट ने हमारा दिन बना दिया
- तनोज दाधीच
दवाओं की रसीदें देख ली थीं
किताबें इसलिए माँगी नहीं हैं
- तनोज दाधीच
सब दे रहे हैं दिल मुझे अपना निकाल के
दरअस्ल मैंने शेर कहे हैं कमाल के
- तनोज दाधीच
पहले थोड़ी मुश्किल होगी
आगे लेकिन मंज़िल होगी
सब बाराती शायर होंगे
मेरी शादी महफ़िल होगी
- तनोज दाधीच
पहली ग़लती पर मत छोड़ो मुझको तुम
पहली रोटी गोल नहीं बनती जानाँ
- तनोज दाधीच
नाप रहा था एक उदासी की गहराई
हाथ पकड़कर वापस लायी है तन्हाई
वस्ल दिनों को काफ़ी छोटा कर देता है
हिज्र बढ़ा देता है रातों की लम्बाई
- तनोज दाधीच
इश्क़ अगर बढ़ता है तो फिर झगड़े भी तो बढ़ते हैं
आमदनी जब बढ़ती है तो ख़र्चे भी तो बढ़ते हैं
माना मंज़िल नहीं मिली है हमको लेकिन रोज़ाना
एक क़दम उसकी जानिब हम आगे भी तो बढ़ते हैं
- तनोज दाधीच
क़समें, वादे, दरवाज़े तो ठीक हैं पर
ख़ामोशी को तोड़ नहीं सकता हूँ मैं
- तनोज दाधीच
इतना मुश्किल थोड़ी है ग़ज़लें कहना
बस चींटी के पर्वत चढ़ने जैसा है
- तनोज दाधीच
कुछ फ़र्क़ क्यूँ हो मुझमें जो रौशन हुए हैं आप
जलता नहीं है चाँद सितारों को देखकर
- तनोज दाधीच
दुनिया को ज़हर पीके बचाओ तो बात है
बस भांग पीके कोई भी शंकर नहीं हुआ
- तनोज दाधीच
जीने का बस एक यही ढब अच्छा है
मेरा तेरा सबका ही रब अच्छा है
बंदा हो तो यार हमारे जैसा हो
सब कुछ खोकर भी बोले, सब अच्छा है
- तनोज दाधीच
पास हमारे आकर वो शर्माती है
तब जाकर के एक ग़ज़ल हो पाती है
उसको छूना छोटा मोटा खेल नहीं
गर्मी क्या सर्दी में लू लग जाती है
- तनोज दाधीच
तुम्हारी बात करने की अदा ने ही किया पागल
न जाने हाल क्या होता, अगर तुम शायरी करती
- तनोज दाधीच
दोस्तो, मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको ये पोस्ट "Tanoj Dadhich Shayari Collection" बेहद पसंद आया होगा। अपनी पसंदीदा ग़ज़ल या शे'र मुझे कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएँ। इसी तरह शायरी पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग पर आते रहें।
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