Parveen Shakir Shayari Collection

Shayari Explanation सीरीज़ में आपका इस्तक़बाल। आज हम जिस शायरा का कलाम ले कर आए हैं वो हैं परवीन शाकिर। परवीन शाकिर साहिबा का नाम उर्दू अदब में बहुत ऊँचा है और हो भी क्यों न, परवीन शाकिर की शायरी ने उन्हें एक बे-मिसाल शख़्सियत बनाया है। 1952 में जन्मी इस शायरा ने अपनी शायरी की बदौलत दुनिया भर में शोहरत कमाई। उन्होंने अपने ही अंदाज़ में इंसानी दुख-दर्द और तन्हाई को अलफ़ाज़ दिया है। Parveen Shakir Shayari Collection में हमने उनके कुछ ऐसे ही अश'आर पेश किए हैं जो आपके दिल में घर कर जाएँगे।


Parveen Shakir Shayari Collection

वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा

यह शेर ज़िंदगी और मौत के फ़लसफ़े पर कहा गया है। शायरा कह रही हैं कि जब इंसान मरता है, उसकी रूह तो 'ख़ुशबू' बनकर हवाओं में फैल जाती है, यानी उसका असर, उसकी यादें, उसकी बातें ज़िंदा रहती हैं। लेकिन सवाल यह है कि 'फूल' यानी उसका जिस्म — वो मिट्टी में मिलकर कहाँ चला जाता है? इस शे'र को कई तरीक़े से समझा जा सकता है। कभी ये आध्यात्मिक लगता है, कभी प्रेमपूर्ण, तो कभी दार्शनिक। 

हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं

इस शे'र में गहरी समझ और तजरबे की बात छिपी है। शायरा कहती हैं कि सच्ची मोहब्बत या असल सौंदर्य को महसूस करने के लिए सब्र, वक़्त, और तजरबे की ज़रूरत होती है। जो लोग मोहब्बत को केवल दो दिनों का शौक़ या जिस्मानी चाहत समझते हैं, वो कभी असली हुस्न और असली औरत को नहीं समझ सकते। परवीन शाकिर का कहना है कि हुस्न को समझने में पूरी ज़िंदगी लग जाती है।

Parveen Shakir Shayari Collection

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की

ये इतना ख़ूबसूरत शे'र है कि इसे तो Parveen Shakir Shayari Collection में शुमार होना ही चाहिए। यहाँ शायरा मानती हैं कि उनका रिश्ता और राब्ता अपने प्रेमी से टूट गया है लेकिन वो किसी से शिकायत नहीं कर सकतीं क्योंकि अगर ये बात लोगों तक पहुँची तो इसमें शायरा और उनके प्रेमी दोनों की बदनामी होगी। इस शे'र में कहीं न कहीं रिश्ता टूटने के बाद भी एक तहज़ीब देखने को मिलती है।   

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया

परवीन शाकिर की शायरी दुख-दर्द से लबरेज़ है। ये शे'र मोहब्बत की थकान और बेबसी बयान करता है। शायरा कह रही हैं कि इश्क़ ऐसा सफ़र है जिसमें न मंज़िल नज़र आती है, न लौटने की राह बचती है। वो अब उस मुकाम पर पहुँच गई हैं जहाँ रुकना भी तक़लीफ़ देता है और चलना भी। ये शे'र शायरा के पस्त हौसले को उजागर करता है।

Parveen Shakir Shayari Collection

दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन

इस शे'र में परवीन शाकिर कहती हैं कि अब उनके दोस्तों और दुश्मनों के बीच कोई अंतर नहीं दिख रहा है यानी अब दोनों ही पूरी तरह से आज़ाद हैं। फिर शायरा ये भी कह रही हैं "देखते हैं खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन" यानी कौन उन्हें सबसे पहले धोका देता है, कौन सबसे पहले उनका भरोसा तोड़ता है, उनके दोस्त या दुश्मन।

मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था
हम ने तो एक बात की उस ने कमाल कर दिया

ये शे'र मोहब्बत में ग़लतफ़हमी या जल्दबाज़ी पर आधारित है। शायरा कहती हैं कि उनके और उनके प्रेमी के बीच कई संभावनाएँ थीं, कई बातें हो सकती थीं लेकिन उनके प्रेमी ने सबसे सख़्त फ़ैसला चुना — जुदाई का। वो कह रही हैं "मैंने तो बस कोई छोटी-सी बात कही थी, शायद नाराज़गी में या मासूमियत में लेकिन उसने उस बात को रिश्ते का अंत बना दिया।" ये 'कमाल' नहीं, बल्कि तल्ख़ी है — एक व्यंग्य कि “वाह! तुमने तो बात का बतंगड़ बना दिया।”

उस ने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखा
रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की

Parveen Shakir Shayari Collection में इस शे'र को तो रखना बनता ही था। शायरा कहती हैं "मैं दर्द में थी, बेक़रार थी मगर जब मेरे महबूब ने प्यार से माथा छुआ तो वो स्पर्श ऐसा था जैसे ईसा मसीह का करिश्मा, जो हर दर्द, हर रोग को मिटा दे। यहाँ “मसीहाई की तासीर” रूपक है — यानी उसके हाथों में शिफ़ा है और उसके छूने से रूह तक सुकून पहुँच गया।

Parveen Shakir Shayari Collection

मैं उस की दस्तरस में हूँ मगर वो
मुझे मेरी रज़ा से माँगता है

इस शे'र में परवीन शाकिर साहिबा कहती हैं कि वो अपने प्रेमी की दस्तरस (पहुँच) में हैं यानी उनका प्रेमी उनपे हक़ जाता सकता है लेकिन फिर भी वो ऐसा नहीं करता है क्योंकि वो शायरा की रज़ा (इच्छा) की क़द्र करता है। ये शे'र दिखाता है कि असली मोहब्बत में हक़ नहीं, अदब होता है।

काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में
मेरे चेहरे पे तिरा नाम न पढ़ ले कोई

यहाँ शायरा इस बात को लेके डरी हुई हैं कि कोई उनकी तन्हाई का सबब न जान जाए। मिसरा-ए-सानी पढ़कर ऐसा लगता है कि उनके प्रेमी ने उनसे रिश्ता तोड़ दिया है और उन्हें अकेला छोड़ कर चला गया। फिर भी शायरा कहती हैं कि कोई जान न पाए कि उनके प्रेमी ने ऐसा कुछ किया। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि वो अपने प्रेमी की रुस्वाई नहीं देख सकती हैं।

दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि आपको Parveen Shakir Shayari Collection पसंद आया होगा। इस ब्लॉग पोस्ट में हमने वही अश'आर लिए हैं जो हमारी नज़र में परवीन शाकिर साहिबा के सबसे ख़ूबसूरत अश'आर हैं। आप अपना पसंदीदा शे'र कॉमेंट बॉक्स के ज़रिए ज़रूर बताएँ। दोस्तो, हम इस ब्लॉग पर न केवल शायरों के कलाम लाते हैं बल्कि उन्हें explain करने की कोशिश भी करते हैं। जिस तरह इस पोस्ट में हमने परवीन शाकिर की शायरी साझा की है वैसे ही और भी शायरों की शायरी साझा की है। आप उन्हें भी पढ़ सकते हैं। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
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