Jaun Elia Sad Shayari

शायरी के दीवानों को जौन एलिया से वाक़िफ़ कराना महज़ बचपना ही कहा जायेगा। जौन एलिया की शायरी ने इंसानी दर्द को आवाज़ देने के साथ-साथ उर्दू अदब के लिए एक मे'यार भी स्थापित किया है। आपने Sad Shayari तो बहुत पढ़ी और सुनी होंगी मगर एक दफ़ा आप जौन साहब के ज़ाविए को भी पढ़ें। जौन साहब की शायरी में जो सबसे अहम पहलू निकल के आता है वो है दर्द-ए-दिल। शायद ही किसी शायर ने उनसे बेहतर दर्द को अपने कलाम के ज़रिए ज़ाहिर किया होगा। जौन साहब अपनी ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में दुबई के एक मुशायरे में जब शिरकत की तो उन्होंने बेहद ग़मगीन हो के ये कहा कि मेरी बीवी और मेरे बच्चे सब मर गए, मैं तबाह हो के आया हूँ। इसके बाद महफ़िल में सभी हँसने लगे तो उन्होंने कहा, "अच्छा! ये कोई हँसने की बात है।" 

अगर आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो आपने जौन एलिया की शायरी ज़रूर सुनी होगी, ख़ासकर कि उनकी दुख भरी शायरी। आज हम ने इस पोस्ट "Jaun Elia Sad Shayari" में जौन एलिया के वो अश'आर पेश किए हैं जो इंसान के तरह-तरह के दुख-दर्द और जज़्बात को आवाज़ देते हैं।

Jaun Elia Sad Shayari

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

इस शे'र में आप शायर की हताश स्थिति को देख सकते हैं। शायर ख़ुद कह रहा है कि वह वो सब कुछ कर रहा है जो उसे नाकाम या बर्बादी की तरफ़ ले जा रहा है, फिर वो चाहे ज़िंदगी हो या मोहब्बत। जैसा कि हमने ऊपर बात की है, जौन साहब के जीवन का ये पहलू बेहद ग़मगीन रहा है।

Jaun Elia Sad Shayari

जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

अब आप इस शे'र में देखें तो इसमें दो पहलू समझ में आते हैं। इसमें जो सकारात्मक पहलू है वो ये है कि शायर की ज़िंदगी चुनौतियों से भरी रही है जो कि होती भी है लेकिन फिर भी उसने उन चुनौतियों का डट कर सामना किया। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है और वो ये कि शायर ने ज़िंदगी तो गुज़ारी मगर वो उम्र भर तक़लीफ़ ही झेलता रहा और उनसे जैसे तैसे उभरा। ये शायर की जद्दोजहद दर्शाता है।

Jaun Elia Sad Shayari

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

इस शे'र में शायर ये साफ़ कह रहा है कि उसका दिल मोहब्बत में नहीं लग रहा है। इसकी एक वजह ये हो सकती है कि उसके साथ किसी ने बे-वफ़ाई की हो जिस वजह से अब उसे दुबारा किसी से मोहब्बत नहीं हो रही। शायर ये भी कह रहा है कि बिना मोहब्बत के ज़िंदगी बिताना भी बहुत मुश्किल है। वो इस बात को उजागर कर रहा है कि एक अच्छा हम-सफ़र ज़िंदगी को आसान बना देता है।

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे

जब बात होती है Jaun Elia Sad Shayari की तो उसमें ये शे'र शुमार करना ज़रूरी है। ये शेर ज़िंदगी और मौत के बीच की नाज़ुकता दर्शाता है। शायर अपनी माशूका से कह रहा है कि तुम कितनी ख़ूबसूरत हो और मैं तुम्हें कितना चाहता हूँ लेकिन ज़िंदगी की एक कठोर सच्चाई ये भी है कि एक दिन हम दोनों ही मर जाएँगे। शायर दर्शाना चाहता है कि वो ता-उम्र अपनी मोहब्बत नहीं पा सकता और अंत तक तन्हा ही रह जाएगा।

Jaun Elia Sad Shayari

किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

अगर अपनी माशूका की तारीफ़ में कोई शे'र कहना हो तो जौन एलिया साहब का ये शे'र कोई कैसे नज़रअंदाज़ कर पाएगा। कितनी ख़ूबसूरती और creativity से जौन ने ये तुलना की है। अपनी माशूका को ख़ूबसूरत कहने का ये अंदाज़ क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। कहीं न कहीं उन्होंने ये भी दर्शाया है कि तुम ही इस दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत लड़की हो और तुमने जो ख़ूबसूरती का मे'यार बनाया है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हीं बेहतर कर सकती हो। 

कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

इस शे'र में घर के दो अर्थ हो सकते हैं - एक तो शाब्दिक अर्थ 'घर' और दूसरा शायर का 'दिल'. शायर यहाँ अपनी तन्हाई का ज़िक्र कर रहा है और ये बता रहा है कि वो अपने घर को सजा कर नहीं रख पाता है और सामान यहाँ-वहाँ बिखरा रहता है।  वो शिकायत कर रहा है कि उसका कोई हम-सफ़र नहीं है जो ये सब कर सके। इस शे'र का एक मतलब ये भी हो सकता है कि शायर रोज़ाना आशिक़ी से दूर होता जा रहा है और वो इस तन्हाई से लड़ नहीं पा रहा है।

क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

इस शे'र में शायर अपना ख़ौफ़ ज़ाहिर कर रहा है। जब उसकी माशूका ये कहती है कि उन दोनों का इश्क़ अमर है तो शायर को ये लगता है कि उसे किसी भ्रम में रखा जा रहा है। उसे ऐसा लग रहा है कि उसे इन मीठी-मीठी बातों में फँसाया जा रहा है और जल्द ही उसकी माशूका उसे जोड़कर चली जाएगी। यहाँ पर शायर महज़ अंदाज़ा ही लगा रहा है जिसकी वजह कुछ भी हो सकती है। जैसे हो सकता है कि शायर ने इससे पहले कभी किसी को ऐसा कहकर बे-वफ़ाई करते हुए देखा हो। 

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का

हम भले ही जौन एलिया की दर्दभरी शायरी पढ़ रहे हों लेकिन ये शे'र जौन का सकारात्मक पहलू भी दिखाता है। ज़िंदगी को इस ज़ाविए से दर्शाना उन्हें एक महान शायर बनाता है। इस शे'र में उनका कहना है कि ज़िंदगी अपने-अपने तौर-तरीक़े से जीने की एक कला है। ये शे'र अपने अस्तित्व की आज़ादी की बात करता है और तब बहुत प्रेरणा देता है जब आदमी अपने सबसे बुरे दौर में हो। 

Jaun Elia Sad Shayari

हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राब
यही मुमकिन था इतनी उजलत में

ये एक philosophical शे'र है जिसमें शायर ने क़ायनात की ख़ामियों और इंसानी हालात पर तंज़ किया है। वो कहता है कि जब खुदा ने “कुन” कहा, तो दुनिया बनी लेकिन ये दुनिया ख़राब और अधूरी लगती है। शायर कहता है कि इतनी उजलत (जल्दबाज़ी) में तो बस ऐसा ही जहान बन सकता था।

मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया

इस शे'र में आप शायर की टीस महसूस कर सकते हैं। शायर यह कह रहा है कि उसने अपने आप को खो दिया और अब वह अपने बीते दिनों को याद कर रहा है। अब यह किसी भी वजह से हो सकता है जैसे मोहब्बत, अना, आदि। इस शे'र का तख़य्युल बहुत ही ख़ूबसूरत है इसलिए इसे भी जौन एलिया की sad shayari में शुमार किया गया है।

अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से ख़तरा है

ये एक ज़बरदस्त शे'र है क्यूँकि इसका तख़य्युल भी शानदार है। जौन एलिया कह रहे हैं कि किसी से ख़तरा तब होता है जब हमारे पास बचने का कोई ज़रिया होता है क्यूँकि अगर सभी को सभी से ख़तरा है तो फिर बचने का कोई विकल्प ही नहीं। इसकी वजह से अब हर कोई निश्चिन्त रह सकता है। ये शे'र कोरोना काल के वक़्त बहुत मशहूर हुआ और होना भी चाहिए। 

इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है

बेवफ़ाई को इस तरह दर्शाना ये बताता है कि जौन एलिया की शायरी का क्या मे'यार है। अब इस शे'र को समझने की कोशिश की जाए तो किसी को याद करना भी बेवफ़ाई तब हो सकती है जब हम किसी और से मोहब्बत करते हों और अपना अतीत न भूल पा रहे हों। कुछ ऐसे भी अतीत होते हैं जिन्हें भूल पाना आसान नहीं होता। शायद जौन साहब ने भी अपने किसी अतीत से परेशान हो के ये शे'र कहा हो।

ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम

इस शे'र में शायर कह रहा है कि अगर हम जुदा हो रहे हैं तो ये काम ख़ामोशी से होना चाहिए यानी किसी को बता कर या शोर कर के नहीं। यहाँ पर कहीं न कहीं जुदाई का ग़म महसूस करने की बात हो रही है।

बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे
सिर्फ़ ज़िंदा रहे हम तो मर जाएँगे

इस मतले में शायर ने अपनी चिंता ज़ाहिर की है कि क्या उसकी ज़िंदगी ऐसे ही उदासी में कटेगी या कभी ख़ुशी भी दिल पर दस्तक देगी। शायर का कहना है कि बिना ख़ुशी के जीना सिर्फ़ ज़िंदा होने की निशानी भर ही है मगर वाक़ई में ज़िंदगी का लुत्फ़ लेना है तो उदासी से बहार आना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो शायर का दम घुटने लगेगा और वो इसे ही अपनी मौत बता रहा है।  

दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि आपने ये पोस्ट "Jaun Elia Sad Shayari" पसंद की होगी। अब से हमारा प्रयास ये रहेगा कि हम न केवल शायर के कलाम आप तक पहुँचाएँ बल्कि आपको उनके मानी से भी रू-ब-रू कराएँ। हम ये मानते हैं कि एक शे'र के कई पहलू हो सकते हैं जो कि हमने जौन एलिया की शायरी में देखे भी। अब हम जिस भी शायर का कलाम लाएँगे, उन्हें explanation के साथ ही post करेंगे। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
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