Ghazal on Life in Hindi
रह गया क़िस्सा अधूरा ज़िंदगी का
कुछ नहीं निकला नतीजा ज़िंदगी का
हम अकेले चाहने वाले नहीं हैं
मौत भी करती है पीछा ज़िंदगी का
कर लिया था फ़ैसला पाने का तुमको
पर कुछ और ही फ़ैसला था ज़िंदगी का
चाहता है कौन मंज़िल पे पहुँचना
कोई कर दे रस्ता लंबा ज़िंदगी का
पर लगाके उड़ गईं साँसें हमारी
टूटा जैसे ही ये पिंजरा ज़िंदगी का
अजनबी बनके रही ता-उम्र ‘अबतर’
याद रह पाया न चेहरा ज़िंदगी का
– अच्युतम यादव 'अबतर'
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