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Ghazal on Life in Hindi

Ghazal on Life in Hindi

ज़िंदगी एक ऐसा सफ़र जो हर दिन नए सवाल खड़े करता है। कभी ये बहुत कुछ दे जाती है, तो कभी सब कुछ छीन भी लेती है। हम सभी अपने-अपने तरीक़े से इसे समझने की कोशिश करते हैं — कोई इससे शिकवा करता है, कोई शुक्रिया। इस पोस्ट "Ghazal on Life in Hindi" में ज़िंदगी के उन्हीं पहलुओं को शब्दों में ढालने की कोशिश की गई है जो हमें कभी हँसाते हैं, कभी रुलाते हैं, और कई बार ख़ामोश कर देते हैं। तो चलिए अब ग़ज़ल की तरफ़ चलते हैं।

Ghazal on Life in Hindi

रह गया क़िस्सा अधूरा ज़िंदगी का
कुछ नहीं निकला नतीजा ज़िंदगी का

हम अकेले चाहने वाले नहीं हैं
मौत भी करती है पीछा ज़िंदगी का

कर लिया था फ़ैसला पाने का तुमको
पर कुछ और ही फ़ैसला था ज़िंदगी का

चाहता है कौन मंज़िल पे पहुँचना
कोई कर दे रस्ता लंबा ज़िंदगी का

पर लगाके उड़ गईं साँसें हमारी
टूटा जैसे ही ये पिंजरा ज़िंदगी का

अजनबी बनके रही ता-उम्र ‘अबतर’
याद रह पाया न चेहरा ज़िंदगी का
– अच्युतम यादव 'अबतर'

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दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि ये पोस्ट "Ghazal on Life in Hindi" आपको पसंद आयी होगी। अगर ऐसा है तो आप मेरे इस ब्लॉग पर मेरी अन्य ग़ज़लें भी ज़रूर पढ़ें। मुझे यक़ीन है आपको वो भी पसंद आएँगी। मैं जैसे-जैसे नई ग़ज़लें कहता हूँ, अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशित करता रहता हूँ।

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